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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित-वैजयन्त शब्द | ३१३ मूल : वैजयन्तो गुहे शक्रप्रासाद - ध्वजयोरपि ।
पताकायामग्निमन्थे नादेय्यां वैजयन्तिका ॥ १७६७ ॥ वैजयन्ती पताकायामग्निमन्थे जपाद्रुमे ।
माला भेदे वैजिकन्तु शिग्र तैलाऽऽत्महेतुषु ।। १७६८ ।। हिन्दी टीका-पुल्लिग वैजयन्त शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं-१. गुह (निषाद वगैरह) २. शक्रप्रासाद (इन्द्र का महल) और ३. ध्वजा (पताका) । वैजयन्तिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं -१. पताका, २. अग्निमन्थ (अग्निमन्थन दण्ड वगैरह) और ३. नादेयी (जलबेंत वगैरह) । वैजयन्ती शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पताका, २. अग्निमन्थ और ३. जपाद्र म (जपा नाम का वृक्ष विशेष, जिसका फूल अत्यन्त लाल होता है। वैजिक शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. मालाभेद (माला विशेष) २. शिग्रुतैल (सहिजन का तेल वगैरह) ३. आत्म और ४ हेतु (कारण)।
पुमान् सद्योऽङ कुरे बीज सम्बन्धिनि तु वाच्यवत् । वैतालिकः खेट्टिताले पुसिबोधकरे त्रिषु ॥ १७६६ ॥ वैदेहकः सार्थवाहे शूद्राद् वेश्यासुतेऽपि च ।
वैदेही पिप्पली-सीता रोचनासु वणिस्त्रियाम् ॥१८००॥ हिन्दी टोका-सद्यः अंकुर (ताजा अंकुर) अर्थ में वैजिक शब्द पुल्लिग है किन्तु बीज सम्बन्धी अर्थ में वाक्यवत विशेष्यनिघ्न माना जाता है। पूल्लिग वैतालिक शब्द का अर्थ-१. खेदिताल होता है किन्तु २. बोधकर में त्रिलिंग माना जाता है । वैदेहक शब्द के दो अर्थ हैं-१. सार्थवाह (झुण्ड) और २. शूद्र से वेश्या में उत्पन्न सन्तान । वैदेही शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. पिप्पली, २. सीता ३. रोचना (गोरोचन) और ४. वणिक स्त्री (वेश्या)। मूल : वैद्योबुधेऽगदंकारे सम्बन्धीये श्रुते स्त्रिषु ।
वैनतेयोऽरुणे तार्थे विद्वदुभिः परिकीर्तितः ॥ १८०१।। वैनाशिकः पराधीने लूतायां क्षणिके स्मृतः ।
वैरोचनिर्बलौ बुद्धे सिद्धे सूर्याऽनलात्मजे ॥ १८०२ ॥ हिन्दी टोका वैद्य शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं—१. बुध (पण्डित) और २. अगदंकार (भिषक् डाक्टर) किन्तु ३. श्र तेः सम्बन्धीय (वेद का सम्बन्धी) अर्थ में वैद्य शब्द त्रिलिंग माना जाता है। वैनतेय शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने गये हैं-१. अरुण (सूर्य सारथि)
और २. तार्य (गरुड़)। वैनाशिक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पराधीन (परतन्त्र) २. लूता (मकड़ा करोलिया) और ३. क्षणिक (क्षणिकवादी बौद्ध) को भी वैनाशिक कहते हैं)। वैरोचनि शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. बलि (राजा बलि) २. बुद्ध (भगवान् बुद्ध) ३. सिद्ध (सिद्ध पुरुष) और ४. सूर्यानलात्मज (सूर्य और अनल-अग्नि का आत्मज-पुत्र सूर्य अग्नि का सुत) को भी वैरोचनि कहते हैं।
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