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मूल :
२९८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-विभु शब्द
विभ्रमः संशये हारभेदे भ्रमण-शोभयोः ।
विमानोऽस्त्री व्योमयाने यानमात्रे तुरङ्गमे ॥१७०८।। __हिन्दी टोका-विभु शब्द पुल्लिग है और उसके दस अर्थ माने गये हैं-१. विष्णु (भगवान विष्णु) २ सुरज्येष्ठ (बृहस्पति) ३. शिव (भगवान शंकर) ४. सर्वगत, ५. जिन (भगवान तीर्थङ्कर) ६. प्रभु (राजा वगैरह) ७. नित्य, ८. व्यापक, ६. दृढ़ (मजबूत) और १०. भृत्य (नौकर)। विभ्रम शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. संशय, २. हारभेद (हार विशेष) ३. भ्रमण और ४. शोभा। विमान शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं- १. व्योमयान (विमान) २. यानमात्र (साधारण सवारी) और ३. तुरंगम (घोड़ा)।
बिम्बन्तु प्रतिबिम्बे स्यात् तुण्डिकेयर्यां कमण्डलौ। अस्त्रियां सूर्य-शुभ्रांशुमण्डले विबुधैः स्मृतः ॥१७०६॥ विरोचनो भास्करे ऽर्कद्रुमे चन्द्रे धनञ्जये ।
प्रह्लादतनये रोहिद्रुम - श्योनाक - भेदयोः ॥१७१०॥ हिन्दी टोका-नपुंसक बिम्ब शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. प्रतिबिम्ब, २. तुण्डिकेरी (कपास या तु दरु) और ३. कमण्डलु किन्तु पुल्लिग तथा नपुंसक बिम्ब शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. सूर्य और २. शुभ्रांशुमण्डल (चन्द्रमण्डल)। विरोचन शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ माने गये हैं ... १. भास्कर (सूर्य) २. अर्कद्र म (ऑक का वृक्ष) ३. चन्द्र, ४. धनञ्जय (अर्जुन या धनञ्जय नाम का पवन) ५. प्रह्लादतनय (भक्त प्रहलाद का पुत्र) ६. रोहिद्र म (गुलनार या लाल करज अथवा वटवृक्ष वगैरह) और ७. श्योनाकभेद (सोना पाठा)। मूल : बिलं गुहायां विवरे शक्राश्वे वेतसे पुमान् ।
विलासी केशवे चन्द्रे हरे वैश्वानरे स्मरे ॥१७११॥ भुजङ्गमे भोगिनि च विलासो हारलीलयोः ।
बिलेशयः शशे सर्पे गोधाऽऽखु शल्लकीषु च ॥१७१२॥ हिन्दी टोका-नपुंसक बिल शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. गुहा (गुफा) २. विवर (बिल, छेद) और ३. शक्राश्व (इन्द्र का घोड़ा) किन्तु ४. वेतस (बेंत) अर्थ में बिल शब्द पुल्लिग है। विलासी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं---१. केशव (भगवान विष्णु) २. चन्द्र, ३. हर (भगवान शंकर) ४. वैश्वानर (अग्नि) और ५. स्मर (कामदेव) । विलास शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -१. भुजङ्गम (सर्प) २. भोगी (भोग विलास करने वाला) ३. हार (मुक्ताहार वगैरह) और ४. लीला । बिलेशय शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने गये है -१. शश (खरगोश) २. सर्प, ३ गोधा (गोह) ४. आखु (चूहा) और ५. शल्लकी (शाही-शेहुड़) इस प्रकार बिलेशय शब्द के पाँच अर्थ जानना। मूल : विवरं तु बिले दोषे विवर्तः संघ-नृत्ययोः ।
विवस्वान् भास्करेऽर्कद्रौ वैवस्वतमनौ सुरे ॥१७१३।।
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