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विवक्षा वक्तुमिच्छायां शक्तावपि निगद्यते ।
विवक्षितो वक्तुमिष्टे शक्यार्थेऽपि मत स्त्रिषु ॥। १७१४॥
हिन्दी टीका-विवर शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. बिल (छेद- सूराख) और २. दोष । विवर्त शब्द पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं - १. संघ ( समुदाय) २. नृत्य ( नाच ) । विवस्वान् शब्द भी पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं - १. भास्कर (सूर्य) २. अर्कद्र (ऑक का पेड़) और ३. वैवस्वतमनु (वैवस्वत नाम का मनु विशेष) और ४. सुर (देव) । विवक्षा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. वक्तुमिच्छा ( बोलने की इच्छा) और २. शक्ति (सामर्थ्य) । विवक्षित शब्द त्रिलिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. वक्तुम् इष्ट ( बोलने की इच्छा का विषय ) और २. शक्यार्थ ( वाच्यार्थ ) ।
मूल :
विविक्त निर्जने पूते ऽसंपृक्त े वाच्यलिङ्गयुक् ।
विवेकः पृथगात्मत्वे जलद्रोणी विचारयोः ।। १७१५ ।। विशदो निर्मले व्यक्त शौक्ल्यवत्यभिधेयवत् । विशल्या ऽग्निशिखावृक्षे दन्तीवृक्षाऽजमोदयो। ॥। १७१६॥
नानार्थौदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित -विवर शब्द | २६६
हिन्दी टीका - विविक्त शब्द वाच्यलिंगयुक् विशेष्यनिघ्न) माना जाता है और उसके तीन अर्थ हैं - १. निर्जन ( एकान्त) २. पूत (पवित्र) और ३. असंपृक्त (सम्पर्क रहित ) । विवेक शब्द के भी तीन अर्थ होते हैं - १. पृथगात्मत्व ( शरीरादि से आत्मा की भिन्नता) २. जलद्रोणी (बडेङी) तथा ३. विचार । विशद शब्द – १. निर्मल और २. व्यक्त अर्थ में पुल्लिंग है किन्तु शौक्ल्यवति (सफेद युक्त) अर्थ में अभिधेयवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है । विशल्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. अग्निशिखावृक्ष ( करिहारी या इन्द्रपुष्पी नाम का वृक्ष विशेष) और २. दन्तीवृक्ष (दन्ती नाम का औषधवनस्पति विशेष ) तथा ३. अजमोदा (अजमानि जमानि आजमा) अर्थ भी विशल्या शब्द का होता है । कलिकारी गुडुच्योश्च विशाखौ स्कन्द- याचकौ । विशारदस्त्रिषु श्रेष्ठे प्रगल्भे विश्रुते बुधे ।।१७१७॥ बकुलेऽसौ पुमान् स्त्रीत दुरालभा महीरुहे ।
मूल :
विशालः पक्षि- नृपति मृग - वृक्षभिदासु च ॥ १७१८ ॥
मूल :
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हिन्दी टीका - विशल्या शब्द के और भी दो अर्थ होते हैं - १. कलिकारी (कलिकारी नाम की लता) और २. गुडुची (गिलोय) को भी विशल्या कहते हैं । विशाख शब्द के दो अर्थ होते हैं -१ स्कन्द (कार्तिकेय) और २. याचक ( मांगने वाला ) । विशारद शब्द त्रिलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं१. श्रेष्ठ, २. प्रगल्भ (ढीठ) ३. विश्रुत (विख्यात) और ४. बुध (पण्डित) किन्तु ५. बकुल ( मौलशरी) अर्थ में विशारद शब्द पुल्लिंग माना जाता है और ६. दुरालभामहीरुह ( जवासा का वृक्ष) अर्थ में विशारद शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है । विशाल शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं - १. पक्षी, २. नृपति (राजा) ३. मृग (हरिण) और ४. वृक्षभिदा ( वृक्ष विशेष) इस प्रकार विशाल शब्द के चार अर्थ
जानना ।
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विशालात्विन्द्रवारुण्यां तीर्थभिद् दक्षकन्ययोः । उज्जयिन्यामुपोदक्यां विशालं बृहति त्रिषु ॥ १७१६ ॥
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