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मूल
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित- विप्रलम्भ शब्द | २९७
विप्रलम्भो विसंवाद - श्रृंगाररसभेदयोः । प्रतारणे विप्रयोगे विच्छेदेपि पुमानयम् ॥ १७०१ ॥ - विफलं वाच्यवद् व्यर्थे केतव्यां विफला स्मृता । पर्याहारेऽयनेभावे विवधो वीवधो पि च ।।१७०२ ॥
हिन्दी टीका - विप्रलम्भ शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं- १. विसंवाद ( मिथ्या वाक्य वगैरह ) २. शृंगाररसभेद (विप्रलम्भ नाम का श्रृंगार विशेष ) ३. प्रतारण ( वंचना ) ४. विप्रयोग (वियोग ) और ५. विच्छेद ( अलग होना) । विफल शब्द - १. व्यर्थ अर्थ में वाच्यवद् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है । और २. केतकी (केवड़ा) अर्थ में विफला शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है । विवध और वीवध शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं - १. पर्याहार ( दूसरे राष्ट्र से अपने राष्ट्र में सैनिक सामग्री - आहार अन्नपानादि को लाना) और २ अयनभाव (अपने राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में उक्त आहार विहार अन्न पान वस्त्रादि सामग्री को पहुँचाना) ।
गुल :
विबुधश्चन्दिरे देवे पण्डितेऽपि स्मृतो बुधैः ।
विभवो मोक्ष ऐश्वर्ये द्रविणे वत्सरान्तरे ।। १७०३ || विभा प्रकाशे शोभायां किरणेऽपि स्त्रियां मता । विभाकर: सूर्यवह्नि - चित्रकार्कद्रुमेषु च ॥ १७०४॥
हिन्दी टीका - विबुध शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. चन्दिर (चन्द्रमा) २. देव और ३. पण्डित ( विद्वान ) । विभव शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -- १. मोक्ष (मुक्ति) २. ऐश्वर्य ( सामर्थ्यं विशेष वगैरह ) ३. द्रविण (वित्त-धन) और ४. वत्सरान्तर (वत्सर विशेष ) । विभा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. प्रकाश, २. शोभा और ३. किरण । विभाकर शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १ सूर्य, २. वह्नि, ३. चित्रक ( चीता) और ४. अकेंद्र म ( ऑक का वृक्ष) इस प्रकार विभाकर शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
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विभावरी हरिद्राभ्यां कुट्टन्यां वक्रयोषिति ।
रात्रौ मौखर्यनिरत स्त्रियां मेदा महीरुहे ।।१७०५ | विभावसुः सूर्य चन्द्रमसोश्चित्रकपादपे । वैश्वानरेऽर्कवृक्षे च हारभेदेऽपि कीर्तितः ।। १७०६ ॥
हिन्दी टीका - विभावरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं - १. हरिद्रा ( हलदी ) २. कुट्टनी (व्यभिचार के लिये पटाने वाली स्त्री) ३. वक्रयोषित् (कुटिल स्त्री) ४. रात्रि (रात) ५. मौखर्यनिरतस्त्री ( अत्यन्त बोलने में चपल स्त्री) और ६. मेदा महीरुह (मेदा नाम का वृक्ष विशेष ) । विभावसु शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ होते हैं - १. सूर्य, २. चन्द्र, ३. चित्रक पादप (एरण्डअण्डी का वृक्ष) ४. वैश्वानर (अग्नि) ५. अर्कवृक्ष (ऑक का वृक्ष) तथा ६. हारभेद (हार विशेष) इस प्रकार विभावसु शब्द के छह अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
विभु विष्णौ सुरज्येष्ठे शिवे सर्वगते जिने ।
प्रभौ नित्ये व्यापके च दृढे भृत्ये प्रकीर्तितः ॥ १७०७ ॥
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