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३०४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वीचि शब्द
बीजं शुक्रऽङ्क रे मन्त्र कारणे गणितान्तरे ।
तत्त्वाधाने बीजकस्तु सर्जके मातुलुगके ।।१७४४॥ हिन्दो टीका-वीचि शब्द पुल्लिग तथा स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. स्वल्पतरङ्ग (थोड़ी लहर) २. किरण और ३. अल्प (थोड़ा) किन्तु १. अवकाश और २. सुख तथा ३. भंग (छटा वगैरह) अर्थ में वीची और वीचि दोनों शब्दों का प्रयोग होता है। बीज शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ माने गये हैं-१. शुक्र (वीर्य) २. अंकुर, ३. मन्त्र, ४. कारण ५. गणितान्तर (गणित विशेष) और ६. तत्त्वाधान (मूल तत्त्व का स्थापन) किन्तु पुल्लिग बीजक शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. सर्जक (सांखु -सखुआ) और २. मातुलुङ्गक (रुचक)।
वीजनं व्यजने क्लीवं पुमान् कोक-चकोरयोः ।
वीजी पितरिना बीजविशिष्टे त्वभिधेयवत् ॥१७४५॥ हिन्दी टीका-वीजन शब्द-१. व्यजन (पंखा) अर्थ में नपुंसक है और पुल्लिग वीजन शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. कोक (चक्रवाक) और २. चकोर । नकारान्त वीजी शब्द १. पितरि (पिता) अर्थ में पुल्लिग है किन्तु २. वीजविशिष्ट (बीजयुक्त) अर्थ में अभिधेयवत् (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है ।
सुसज्जीकृतताम्बूले वीटी वीटिश्च वीटिका । विपञ्ची-विद्युतो र्वीणावीतः शान्तगते त्रिषु ॥१७४६॥ वीतरागो जिने बुद्धे रागहीने त्वसौ त्रिषु ।
वीतशोको ऽअशोकवृक्षे शोकहीने त्वसौ त्रिषु ॥१७४७।। हिन्दी टोका-स्त्रीलिंग वीटी वीटि और वी टिका इन तीनों शब्दों का अर्थ-१. सुसज्जीकृतताम्बूल (कथा-वूना-मशाला वगैरह से बनाकर तैयार किया हुआ पान-ताम्बूल) होता है । वीणा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. विपञ्ची (वीणा) और २. विद्युत (बिजली, एलेक्ट्रिक)। पुल्लिग वीत शब्द का अर्थ-१. शान्त होता है किन्तु २. गत (बीता हुआ) अर्थ में वीत शब्द त्रिलिंग माना जाता है। पल्लिग वीतराग शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. जिन (भगवान तीर्थकर) और २. बुद्ध (भगवान बुद्ध) किन्तु ३. रागहीन (रागरहित) अर्थ में वीतराग शब्द त्रिलिंग माना जाता है। पुल्लिग वीतशोक शब्द का अर्थ-१. अशोकवृक्ष होता है किन्तु २. शोकहीन (शोकरहित) अर्थ में वीतशोक शब्द त्रिलिंग माना गया है । क्योंकि पुरुष स्त्री साधारण कोई भी शोकरहित हो सकता है। .
वीतिः स्त्री प्रजने दीप्तौ भोजने धावने गतौ । वीति: पुमान् हये वीतिहोत्रो वह्नौ दिवाकरे ॥१७४८॥ गृहांगे वर्त्मनि श्रेण्यां वीथि :थी च वीथिका ।
वीध्र व्योम्न्यनले वायौ निर्मले तु त्रिलिंगभाक् ॥१७४६।। हिन्दी टीका-स्त्रीलिंग वीति शब्द के पांच अर्थ होते हैं-१. प्रजन (प्रयम गर्भ धारण) २. दीप्ति (प्रकाश) ३. भोजन, ४. धावन (दौड़ना) ५. गति (गमन करना) किन्तु पुल्लिग वीति शब्द का अर्थ-६. हय (घोड़ा) होता है। वीतिहोत्र पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१, वह्नि (अग्नि)
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