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२७० | नानार्थौदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - रेवती शब्द
होते हैं - १. अधम (नीच) २. क्रूर ३. दुष्ट (खल) तथा ४. कदर्य ( निर्दय ) । रेवट शब्द पुल्लिंग है और उसके भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. शूकर (शूगर ) २. रेणु (धूलि ) ३. वातूल (वात व्याधिग्रस्त ) और ४. विषवैद्यक (विषवैद्य ) । इस प्रकार रेवट शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
रेवती नक्षत्रभेदे स्त्रीगव्याँ बलयोषिति ।
दुर्गायां मातृकाभेदे शैलभेदे तु रैवतः ।। १५४१।। स्वर्णालु पादपे शम्भो रोकस्तु क्रय रोचिषोः । रोकं छिद्रे चले नावि रोचकस्तु पुमान् क्षुधि ।। १५४२॥
हिन्दी टीका - रेवती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. नक्षत्रभेद (नक्षत्र विशेष – रेवती नक्षत्र) २. स्त्रीगवी (गाय) ३. बलयोषित् ( बलराम की धर्मपत्नी का नाम "रेवती” था ) ४. दुर्गा (पार्वती) तथा ५. मातृकाभेद (मातृका विशेष, चौदह मातृकाओं में रेवती नाम की मातृका - माता) किन्तु ६. शैलभेद ( शैल विशेष ) अर्थ में रैवत नाम का पर्वत विशेष जोकि अभी जूनागढ़ के पास गिरनार शब्द से व्यवहृत होता है। रैवत शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं - १. स्वर्णालुपादप (स्वर्णालु सोनालू नाम का वृक्ष विशेष अमलतास) और २. शम्भु (भगवान शङ्कर ) । पुल्लिंग रोक शब्द के दो अर्थ माने गये हैं - १. क्रय ( खरीदना) और २. रोचिष् ( कान्ति-दीप्ति) । नपुंसक रोक शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. छिद्र (बिल) २. चल (चलायमान) और ३. नो (नौका-नाव) । रोचक शब्द पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. क्षुध् (भूख) होता है । इस प्रकार रोक शब्द के कुल मिलाकर पाँच और रोचक शब्द का एक अर्थ जानना ।
मूल :
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कदल्यामवदंशे च त्रिषु स्याद् रुचिकारके ।
आरग्वधे करञ्जे च रोचनः कूटशाल्मलौ ॥ १५.४३ ॥ पलांड्वङ्गोठ करक रोचक श्वेत शिग्र ुषु ।
रोचना रक्त कहलारे गोपित्ते वरयोषिति ॥१५४४ ॥
हिन्दी टीका - पुल्लिंग रोचक शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. कदली (केला) २. अवदंश (शराब वगैरह का पान करने के लिये रुचिवर्द्धक नमकीन चना वगैरह का भक्षण करना) किन्तु ३. रुचिकारक (रुचिजनक) अर्थ में रोचक शब्द त्रिलिंग माना जाता है । रोचन शब्द पुल्लिंग है और उसके आठ अर्थ माने गये हैं- १. आरग्वध (अमलतास - सोनालू) २. करञ्ज ( करञ्ज नाम का वृक्ष विशेष) ३. कूटशाल्मलि (काला सेमर ) । पलाण्डु ( प्याज - डुंगरी) ५. अङ्गोठ (अङ्कोट — ढेरा नाम का वृक्ष विशेष) ६. करक (अनार - दाडिम वगैरह ) ७. रोचक ( रुचिवर्द्धक) और ८. श्वेत शिगु (सफेद सहिजनमुनगा) । रोचना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं- १. रक्तकहलार (लाल कमल विशेष) २. गोपित्त ( गोपित नाम का वृक्ष विशेष वगैरह ) और ३. वरयोषित् (सुन्दरी स्त्री) को भी रोचना कहते हैं ।
मूल :
रोदः क्लीवं स्वर्गभुवो रोदनं क्रन्दनेऽश्रुणि ।
विमोहे रोपणं प्रादुर्भावे स्याज्जनने ऽञ्जने ॥१५४५॥
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