________________
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वल्लव शब्द | २८१ नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. मरि (मञ्जर, बोर) २. कृष्णागुरु (काला अगर) ३. कुञ्ज (गली विशेष) और ४. काननवन–जंगल)।
भीमे गोपे वल्लवो ना सूपकारे त्वसौ त्रिषु । वल्लिः स्याद् वह्निदमनीक्षपे क्ष्मा-लतयोः स्त्रियाम् ॥१६०५॥ वल्ली कवतिका चव्या-जमोदा-व्रततिष्वपि ।
वल्लूरं मञ्जरी-क्षेत्र-कुजारण्येषु शाद्वले ॥१६०६॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग वल्लव शब्द के दो अर्थ माने गये हैं -१. भीम (दूसरा पाण्डव) और २. गोप (ग्वाला) किन्तु ३. सूपकार (रसोइया) अर्थ में वल्लव शब्द त्रिलिंग माना जाता है। वल्लि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. वह्निदमनीक्षुप (आग को शान्त करने वाला वृक्ष विशेष,
की डाल और मूल छोटा होता है ऐसा वृक्ष-शाखोट वगैरह) को वह्निदमनीक्षप वल्लि कहते हैं। २. क्षमा (पृथिवी) तथा ३. लता को भी वल्लि कहते हैं। वल्ली शब्द भी स्त्रीलिंग माना जाता है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. कैवर्तिका (नागरमोथा, जलमोथा) २ चव्या (चाभ) ३. अजमोदा (अजमाइन-जमानि)। वल्लूर शब्द नपुंसक है और उसके पांच अर्थ होते हैं -१ मञ्जरी (मञ्जर, मज्जर, बौर) २. क्षेत्र (खेत) ३. कुञ्ज (लताओं से वेष्टित झाड़ी) ४. अरण्य (वन–जंगल) और ५. शाद्वल (हरी घास) को भी वल्लूर कहते हैं । मूल : त्रिषूषरक्षितौ शुष्कमांस - सूकर-मांसयोः ।
वाहने च वशं त्विच्छा-प्रभुताऽऽयत्ततास्वपि ॥१६०७॥ वशो वेश्यागृहे स्वेच्छा ऽऽयत्ततैश्वर्यजन्मसु ।
वशा बन्ध्या-सुता-योषा-स्त्रीगवी-करिणीषु च ॥१६०८।। हिन्दी टीका-वल्लूर शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. ऊषरक्षिति (ऊषर भूमि) २. शुष्कमांस (सूखा मांस) ३. सूकरमांस (शूगर का मांस) तथा ४. वाहन (सवारी) । नपुंसक वश शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. इच्छा, २. प्रभुता (सामर्थ्य-प्रभाव-आधिपत्य वगैरह) और ३. आयत्तता (अधीनता)। किन्त पल्लिग वश शब्द के पाँच अर्थ माने गये हैं-१. वेश्यागृह (रण्डीखाना) २. स्वेच्छा, ३. आयत्तता (अधौनता) ४ ऐश्वर्य (सामर्थ्य विशेष) और ५. जन्म (उत्पत्ति)। परन्तु स्त्रीलिंग वशा शब्द के भी पांच अर्थ माने गये हैं-'. बन्ध्या (बाँझ) २. सूता (कन्या-लड़की) ३. योषा (स्त्री) ४. स्त्रीगवी (गाय) और ५. करिणी (हथिनी) इस प्रकार वश शब्द के कुल तेरह अर्थ जानना। मूल : वशिरो गजपिप्पल्यां वचाऽपामार्गयोस्तथा।
चव्येऽथ वशिनी वन्दा-शमीपादपयोः स्त्रियाम् ।।१६०६।। यामिन्यां सदने वासे वसति सतीत्युभे ।
वसन्तदूत आम्र स्यात् पिक-पञ्चमरागयोः ॥१६१०॥ हिन्दी टीका-वशिर शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. गजपिप्पली (गजपिपरि) २. वचा (वचा नाम का औषधि विशेष जो कि अत्यन्त बुद्धिवर्द्धक होती है) ३. अपामार्ग (चिर. चोरी) तथा ४. चव्य (चाभ)। वशिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. वन्दा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org