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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वारि शब्द | २८७ का ग्राही या अबसर का ग्राही अथवा रवि वगैरह दिनों का ग्राही) अर्थ में बारकीर शब्द त्रिलिंग माना जाता है । पुल्लिग वारण शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. कुञ्जर (हाथी) और बाण (कवच) किन्तु ३. निषेधन (मना करना) अर्थ में वारण शब्द नपुंसक माना जाता है । वारि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं--१. गजबन्धिनी (बेड़ी) २. सरस्वती और ३. उपग्रह (कैदीबंदीगृह-गिरफ्तार वगैरह) इस प्रकार स्त्रीलिंग वारि शब्द के तीन अर्थ समझने चाहिए। मूल : नपुंसकं स्यात् सलिले ह्रीवेरेऽपि प्रकीर्तितम् ।
वारिजं तु लवङ्ग स्यात् पद्म-गौरसुवर्णयोः ॥१६४१॥ वारिजौ कम्बु-शम्बूको सूर्याब्दौ वारि तस्करौ।
वारिदो मुस्तके मेधे बालायां तु नपुंसकम् ।।१६४२।। हिन्दी टोका-नपुंसक वरि शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. सलिल (जल) और २. हीवेर (नेत्रवाला) । नपुंसक वारिज शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं -१. लवङ्ग (लौंग) २. पद्म (कमल) और ३. गौरसुवर्ण (स्वच्छ सोना)। पुल्लिग वारिज शब्द के छह अर्थ माने जाते हैं-१. कम्बु (शंख) २. शम्बूक शितआ) ३. सर्य ४. अब्द (वर्ष) ५. वारि (पानी) तथा ६. तस्कर (चोर)। पुल्लिग वारिद शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. मुस्तक (मोथा) और २. मेघ (बादल) किन्तु ३. बाला (लड़की) अर्थ में वारिद शब्द नपुंसक माना जाता है। मूल: वारिनाथो वारिवाहे वरुणे यादसांपतौ।
पद्म वारिरुहं क्लीवं जलजाते त्रिलिंगकम् ॥१६४३॥ लवङ्गोशीर सौवीराजनेषु वारिसंभवम् ।
वारुण्डोऽस्त्री श्रोत्रनेत्रमले नौसेकभाजने ॥१६४४॥ हिन्दी टोका-वारिनाथ शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. वारिवाह (मेघ) २. वरुण (जल देवता विशेष) और ३. यादसांपति (समुद्र)। नपुंसक वारिरुह शब्द का अर्थ-१. पद्म (कमल) होता है, किन्तु २. जलजात (पानी में उत्पन्न) अर्थ में वारिरुह शब्द त्रिलिंग माना गया है । वारिसंभव शब्द के चार अर्थ माने गये हैं -१. लवङ्ग २. उशीर (खस) ३. सौवीर (शुरमा) और ४. अञ्जन (आंजन)। वारुण्ड शब्द पल्लिग तथा नपंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. श्रोत्रनेत्रमल (कान का मल-गुज्जी और आँख का मल कौंची) और २. नौसे कभाजन (नौका का सेचन पात्र) इस प्रकार वारुण्ड शब्द के दो अर्थ जानना। मूल:
आरोग्याऽसारयोर्वतिं वृत्तिमत्कल्पयोस्त्रिषु । वार्ता वातिङ्गणे वृत्तौ वृत्तान्ते च जनश्रुतौ ॥१६४५॥ वार्तावहो वैवधिके त्रिषु संवादवाहके ।
वार्तिकः स्यात् प्रवृत्तिज्ञ वैश्ये वार्तिकपक्षिणि ॥१६४६।। हिन्दी टीका-नपुंसक वार्त शब्द के दो अर्थ होते हैं -१. आरोग्य और २. असार (सारहीन)। किन्तु त्रिलिंग वार्त शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं—१. वृत्तिमत् (वृत्ति से युक्त) और २. कल्प । स्त्रीलिंग
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