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मूल :
२९० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वाहिनी शब्द किन्तु ६. वाहक (वहन करने वाला) अर्थ में वाह शब्द त्रिलिंग माना जाता है। वाहस शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं- १. वारिनिर्याण (जलस्रोत) २. अजगर (अजगर-सर्प विशेष) और ३. सुनिषण्णक (अच्छी तरह बैठा हुआ) । वाहिक शब्द के चार अर्थ होते हैं- १. भारिक (भार वहन करने वाला) २. ढक्का (बड़ा ढोल नगाड़ा वगैरह) ३. गोवाह (बैल से वहन किया जाने वाला) ४. शकटादि (गाड़ी वगैरह) को भी वाहिक कहते हैं।
सेना-तद्भेदयोनद्यां वाहिनी प्रोच्यते स्त्रियाम् । सेनापतौ समुद्रेच कीर्तितो वाहिनीपतिः ।।१६५६॥ वाहुल: कार्तिकेमासि तथा शाक्यमुनेः सुते ।
वाह्यं याने मतं क्लीवं वहनीये बहिस्त्रिषु ॥१६६०॥ हिन्दी टीका-वाहिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. सेना, २. तभेद (सेना विशेष) और ३. नदी। वाहिनीपति शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. सेनापति (सेना का चीफ कमाण्डर) और २. समुद्र । वाहुल शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने गये हैं१. कार्तिकमास, २. शाक्यमुनिसुत (शाक्य मुनि का पुत्र)। वाह्य शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ१. यान (सवारी गाड़ी वगैरह) होता है किन्तु १. वहनीय (वहन करने योग्य) अर्थ में बहि शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : विकचः क्षपणे केतौ खलति-स्फुटयो स्त्रिषु ।
विस्फोटके साकुरुण्डपादपे विकटः पुमान् ॥१६६१।। हिन्दी टोका-पुल्लिग विकच शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. क्षपण (बिताना) और २. केतु (पताका) किन्तु ३. खलति (वृद्ध) और ४. स्फुट अर्थ में विकच शब्द त्रिलिंग माना जाता है । विकट शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. विस्फोटक और २. साकुरुण्डपादप (साकुरुण्ड नाम का वृक्ष विशेष)। मूल : विशाले विकराले च विकृते दन्तुरे त्रिषु ।
बौद्धदेवी प्रभेदे तु कीर्तिता विकटा स्त्रियाम् ॥१६६२।। त्रिषु स्वभाव रहिते विह्वले विकलः स्मृतः ।
विकला निकली च द्वे ऋतुनर्जितयोषिति ।।१६६३।। हिन्दी टोका-त्रिलिंग विकट शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. विशाल, २. विकराल (भयंकर) ३. विकृत (विकारयुक्त) और ४. दन्तुर (उन्नत दाँत वाला) किन्तु ५. बौद्धदेवीप्रभेद (बौद्धदेवी विशेष) अर्थ में विकटा शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है । त्रिलिंग विकल शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. स्वभावरहित (निःस्वभाव) और २. विह्वल (व्याकुल) । स्त्रीलिंग विकला और विकली शब्द का अर्थ-१. ऋतुवजित(ऋतु-मासिक धर्मरहित स्त्री) इस प्रकार विकल शब्द के कुल मिलाकर तीन अर्थ समझने चाहिए। मूल : विकल्पो भ्रान्ति-विविधकल्पयोः समुदाहृतः ।
विकषा मांसरोहिण्यां मञ्जिष्ठायामपि स्त्रियाम् ॥१६६४॥
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