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मूल:
२८२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-वसु शब्द (वांदा-वन्दा-बाँझ-वृक्ष के ऊपर उत्पन्न लता विशेष, जिसको मैथिली भाषा में बाँझ कहते हैं) २. शमीपादप (शेमर का वृक्ष) तथा ३. यामिनी (रात) को भी वशिनी कहते हैं । वसति और वसती इन दोनों शब्दों के दो अर्थ होते हैं—१. सदन (गृह) और २. वास (आवास)। वसन्तदूत शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. आम्र (केरी-आम) २. पिक (कोयल) और ३. पंचमराग (पंचम स्वर) इस प्रकार वसन्तदूत शब्द के तीन अर्थ समझने चाहिए।
वसु वृद्धौषध-श्याम - धन . रत्नाऽम्बुभर्मसु । वसुकोऽर्कतरौ पाशुपतेऽथ वसुदः पुमान् ॥१६११॥ कुबेरे वाच्यलिङ्गस्तु धन - धान्यप्रदातरि ।
वसुधारा जैनशक्ति-चेदिराजाऽऽज्य धारयोः ॥१६१२॥ हिन्दी टीका-वसु शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ माने गये हैं- १. वृद्धौषध (शिलाजीत) २. श्याम, ३. धन (सम्पत्ति) ४. रत्न (हीरा जवाहरात वगैरह) ५. अम्बु (जल) और ६. भर्म (सोना या वेतन-मजदूरी)। वसुक शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. अर्कतरु (ऑक का वृक्ष)
और २. पाशुपत (पाशुपतास्त्र)। पुल्लिग वसुद शब्द का अर्थ- १. कुवेर होता है किन्तु २. धनधान्य प्रदाता (धनधान्य को देने वाला) अर्थ में वसुद शब्द वायलिंग (विशेष्यनिघ्न) माना जाता है। वसुधारा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. जैनशक्ति (तारा नाम की जैन शक्ति विशेष) २. चेदिराजा (शिशुपाल) और ३. आज्यधारा (वसुधारा) । इस प्रकार वसुधारा शब्द के तीन अर्थ समझना।
अलकायां च वस्तिस्तु नाभ्यधो-वस्त्रखण्डयोः । वस्नं मूल्ये भृतौ द्रव्ये वेतने वसने धने ॥१६१३।। त्वचि वस्वौकसारा तु पुर्यामिन्द्र-कुबेरयोः ।
वहो वृषस्कन्धदेशे वायावश्वे नदे पथि ॥१६१४॥ हिन्दी टीका-वस्ति शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. अलका (कुबेर की राजधानी) २. नाभिअधः (नाभि का नीचा भाग) को भी वस्ति कहते हैं और ३. वस्त्रखण्ड (कपड़े का टुकड़ा) को भी वस्ति कहते हैं । वस्न शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. मूल्य (कीमत) २. भृति (जीविका) ३. द्रव्य (रुपया पैसा) ४. वेतन (पगार) ५. वसन (वस्त्र) और ६. धन (सम्पत्ति)। वस्वौकसारा शब्द के तीन अर्थ होते हैं --१. त्वच् (त्वचा) २ इन्द्रपुरी (स्वर्गपुरी) और ३ कुबेरपुरी (अलकापुरी)। वह शब्द पुल्लिग है
और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं-१. वृषस्कन्धदेश (बैल का स्कन्ध ककुद कल्हौड़) २. वायु (पवन) ३. अश्व (घोड़ा) ४. नद (झील) और ५. पथ ।रास्ता) इस प्रकार वह शब्द के पाँच अर्थ जानना। मूल : सचिवे पवने किञ्च गवि स्याद् वहतिः पुमान् ।
वह्नि भल्लातके निम्बावग्नौ चित्रक-रेफयोः ॥१६१५॥ हिन्दी टोका-पुल्लिग वहति शब्द के तीन अर्थ होते हैं—१. सचिव (मन्त्री) २. पवन, ३. गौ। बन्हि शब्द के पांच अर्थ होते हैं-१. भल्लातक (भाला) २. निम्बु (नेबो) ३. अग्नि, ४. चित्रक (चीता) ५. रेफ (रकार)। मूल : वागरो वारके शाणे निर्णये वाडवे वृके ।
वावदूके त्यक्तभये मुमुक्षौ पण्डितेऽपि च ॥१६१६॥
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