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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-रोदस् शब्द | २७१ रोमकं पांशुलवणेऽयस्कान्तेऽपि प्रकीर्तितम् ।
पिण्डालौ शूकरे कुम्भि-मेषयोः पुंसि रोमशः ॥१५४६॥ हिन्दी टीका-रोदस् शब्द सकारान्त नपुंसक है और उसके दो अर्थ-१. स्वर्ग और २. भू (स्वर्गलोक और भूलोक) दोनों मिले जुले अर्थ होते हैं। रोदन शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. क्रन्दन (रोना) २. अश्रु (अश्रुपात) और ३. विमोह (मोह में पड़ना)। रोपण शब्द भी नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं—१. प्रादुर्भाव (प्रकट होना) २. जनन (पैदा होना) और ३. अञ्जन (आँजन)। रोमक शब्द भी नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. पांशुलवण (चूर्ण नमक) और २. अयस्कान्त (अयस्कान्त मणि) । रोमश शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. पिण्डालु (पिण्डेच्छु) २. शूकर (शूगर) ३. कुम्भी और ४. मेष (गेटा)। मूल : रोहिनी धामिके बीजे वृक्षे स्यादथ रोहिणः ।
भूतृणे वटवृक्षे च तथा रोहितकद्रुमे ॥१५४७॥ कालभेदे त्वसौ क्लीवो मञ्जिष्ठायां तु रोहिणी।
सोमवल्के लोहितायां विद्यादेव्यां तडित्यपि ॥१५४८॥ हिन्दी टीका-रोहिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. धार्मिक (धर्मात्मा) २. बीज तथा ३. वृक्ष । रोहिण शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं-१. भूतृण (जमीन का घास विशेष) २. वटवृक्ष तथा ३. रोहितकद्र म (रोहितक नाम का वृक्ष विशेष)। किन्तु १. कालभेद (कालविशेष) अथ में रोहिण शब्द नपुंसक माना जाता है । परन्तु २. मञ्जिष्ठा (मजीठा रंग) अर्थ में स्त्रीलिंग रोहिणी शब्द का प्रयोग किया जाता है । रोहिणी शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. सोमवल्क (सफेद खदिर-सफेद कत्था) २. लोहिता (लाल) ३. विद्यादेवी (जिन सम्बन्धिनी देवी) और ४. तडित् (विद्युत-बिजली)। मूल : कटम्भरायां स्त्रीगव्यां काश्माँ बलमातरि ।
ताराभेदे हरीतक्यां कन्या - रोगविशेषयोः ॥१५४६।। रोहितं कुंकुमे रक्ते ऋजु शक्र शरासने ।
वर्णभेदे मत्स्यभेदे रोहित् पुंसि दिवाकरे ॥१५५०॥ हिन्दी टोका-रोहिणी शब्द के और भी आठ अर्थ माने जाते हैं-१. कटुम्भरा (कुटकी-कर्टवरा) २. स्त्रीगवी (गाय) ३. काश्मरी (गंभारी,गभारि) ४. बलमाता (वलराम की माता) को भी रोहिणी कहते हैं ५. ताराभेद (तारा विशेष-रोहिणी नक्षत्र) ६. हरीतकी, ७ कन्या ८. रोग विशेष । नपंसक रोहित शब्द के पांच अर्थ होते हैं - १. कुंकुम (सिन्दूर) २. रक्त (लाल) ३. ऋजुशक्रशरासन (इन्द्र का सीधा धनुष) ४. वर्णभेद (वर्णविशेष-लाल वर्ण) तथा ५. मत्स्यभेद (मत्स्य विशेष-रहु नाम की मछली) किन्तु ६. दिवाकर (सूर्य) अर्थ में तकारान्त रोहित शब्द पुल्लिग माना जाता है। इस प्रकार रोहित और रोहित् शब्द के छह अर्थ जानना । मूल : स्त्रियां रोहिल्लताभेदे मृग्यामप्यथ रोहितः ।
वृक्षभेदे वर्णभेदे मीनभेदे मृगान्तरे ॥१५५१॥
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