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२६२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-रसा शब्द (जहर)। रसा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. रसमयी (पृथिवी) २. द्राक्षा (दाख-. मुनाका किसमिस) और ३. कंगू (मुनि अन्नविशेष-कांगु-मोरैया)। मूल : पृथिवी-रसना-पाठा-काकोली - शल्लकीष्वपि ।
रसाल इक्षावानं च गोधूमे कण्टकीफले ॥१४६३।। रसाला रसना-दूर्वां - द्राक्षा-शिखरिणीष्वपि ।
राग इन्दौ रवौ प्रीतौ रतौ राजनिरञ्जने ॥१४६४॥ हिन्दी टोका-रसा शब्द के और भी पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. पृथिवी (भूमि) २. रसना (जिह्वा) ३. पाठा (ग्वारपाठा) ४. काकोलो (विष विशेष या डोम काक को स्त्री जाति) और ५. शल्लकी (शाही) । रसाल शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं -१. इक्षु (गन्नाशेर्डी) २. आम्र (आम, केरी) ३. गोधूम (गेहुम) और ४. कण्टकीफल (रेवणी कटेया का फल)। रसाला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी चार अर्थ माने जाते हैं -१. रसना (जिव्हा) २. दूर्वा (दुभी) ३. द्राक्षा (दाख मुनाका-किसमिस) ४. शिखरिणी (पहाड़ी)। राग शब्द के छह अर्थ माने गये हैं-१. इन्दु (चन्द्रमा) २. रवि (सूर्य)
) ३. प्रीति (प्रेम) ४. रति (भोग विलास) ५. राजा और ६. रजन। इस प्रकार राग शब्द के छह अर्थ समझने चाहिए। मूल : क्लेशादौ लोहितादौ च गानरागेषु मत्सरे ।
धानस्यादौ विदग्धायामिन्दिरायां च रागिणी ॥१४६५॥ राघवो रामचन्द्रे स्यान्मत्स्यभेदे सरित्पतौ ।
राजन्यः क्षीरिकावृक्षे क्षत्रियेऽग्नौ नृपात्मजे ॥१४६६॥ हिन्दी टीका-राग शब्द के और भी पांच अर्थ माने गये हैं-१. क्लेशादि (क्लेश आदि-कष्ट वगैरह) २. लोहितादि (लाल वगैरह रंग) ३. गानराग (गान का रंग-भैरवी वगैरह) ४. मत्सर (मत्सरता ईर्ष्या) तथा ५. धानस्यआदि (धान का आरम्भ)। रागिणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. विदग्धा (विदुषी) और २. इन्दिरा (लक्ष्मो)। राघव शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं१. रामचन्द्र (भगवान राम) २. मत्स्यभेद (मत्स्यविशेष-रहु नाम की मछली) और ३. सरित्पति (समुद्र)। राजन्य शब्द के भी चार अर्थ माने गये हैं-१. क्षीरिकावृक्ष (खिड़नी का पेड़) २. क्षत्रिय (राजपूत) ३. अग्नि और ४. नृपात्मज (राजा का लड़का)। मूल : करिण्यां क्षत्रियाज्जाते राजपुत्रो बुधग्रहे ।
राजपुत्री राजसुता - जात्योर्मञ्जुलताजुषि ॥१४६७।। हिन्दी टीका-राजपुत्र शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. करिण्यां क्षत्रियाज्जात (करिणी में क्षत्रिय से उत्पन्न) और २. बुधग्रह । राजपुत्री शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. राजसुता (राजकन्या) २. जाति विशेष और ३. मजुलताजुष (मञ्जुला कोमला)। मूल : मालती-रेणुका-राजरीति - च्छुच्छुन्दरीष्वपि ।
इन्द्रे चन्द्रे प्रभौ पक्षे राजा क्षत्रिय-भूभृतोः ॥१४६८॥
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