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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-बालक शब्द | २३७ लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं--१. व्यूति (कपड़े आदि को बुनना-बान) २. सरस्वती और ३. वाक्य (शब्द) । बान्धव शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं -१. सुहृद् (मित्र) २. ज्ञाति (बन्धु परिवार कटम्ब वगैरह)। पल्लिग बाल शब्द का अर्थ मूर्ख होता है। किन्तु २. अर्भक (बच्चा) अर्थ में बाल शब्द त्रिलिंग माना जाता है। बाल शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं-१. अश्वशावक (घोड़े का बच्चा) २. केश और ३. तुरंगकरिबालधि (घोड़ा और हाथी की पूंछ के केशवाला अगला भाग)।
बालकोऽज्ञ शिशौ केशे वलये चांगुरीयके । बाला नार्यां हरिद्रायामेलायां भूषणान्तरे ॥१३४५॥ बालिका बालुका-कन्या-त्रुटिषु श्रुति भूषणे ।
बालुका कर्कटी - यन्त्रप्रभेद - सिकतासु च ।।१३४६॥ हिन्दी टोका-बालक शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं-१. अज्ञ (ज्ञानरहित मूर्ख) २. शिशु (बालक बच्चा) ३. केश, ४. वलय (कंगन चूड़ी) और ५. अंगुरीयक (अँगूठी-मुद्रिका)। बाला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं—१. नारी (स्त्री) २. हरिद्रा (हलदी) ३. एला (बड़ी इलाइची) और ४. भूषणान्तर (भूषण विशेष, कान का कुण्डलाकार वाला नाम का भूषण) । बालिका शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. बालुका (रेती, बालु) २. कन्या (लड़की) ३. त्रुटि (छोटी इलाइची) तथा ४. श्रुतिभूषण (कर्णभूषण वाला)। बालुका शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. कर्कटी (कांकड़ो-काँकड़ि-फूटि) २. यन्त्रप्रभेद (यन्त्रविशेष) और ३. सिकता (रेती-बालु) इस प्रकार बालुका शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिए। मूल :
बालेयो गर्दभे दैत्यभेदे चाणक्यमूलके । बीभत्सो विकृतौ करे घृणात्मनि रसान्तरे ॥१३४७॥ बुधो वृन्दारके सौम्ये विपश्चिति नृपान्तरे।
बुध्नः शिवे वृक्षमूले बुबुधानः सुरे बुधे ॥१३४८॥ हिन्दी टीका- बालेय शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. गर्दभ (गदहा) २. दैत्यभेद (दैत्य विशेष) और ३. चाणक्यमूलक (राजनीति)। बीभत्स शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. विकृति (विकार) २. क्रूर (घातक) ३. घृणात्मा (घृणायुक्त आत्मा) और ४. रसान्तर (रस विशेष-बीभत्स रस) । बुध शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी चार अर्थ माने गये हैं-१. वृन्दारक (देवता) २. सौम्य (भद्र) ३. विपश्चित (विद्वान्) और ४. नृपान्तर (नृप विशेष, बुध नाम का राजा)। बुध्न शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. शिव (भगवान शंकर) २. वृक्षमूल (वृक्ष का मूल भाग)। बुबुधान शब्द भी पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ माने गये हैं---१. सुर (देव) और २. बुध (विद्वान पण्डित)। मूल: विज्ञापने वेदने च बोधनं गन्धदीपने ।
ब्रघ्नः सूर्ये शिवे वृक्षमूल - रोगविशेषयोः ॥१३४६॥ ब्रह्म वेदे च तपसि तत्त्वे विप्रे विधौ पुमान् । ब्रह्मण्यः केशवे ब्रह्मदारुवृक्षे शनैश्चरे ॥१३५.०॥
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