________________
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-भारद्वाज शब्द | २४१ है और उसके भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. क्रोध (गुस्सा) २. सहस्रांशु (सूर्य) ३. दीप्ति (प्रभा ज्योति, कान्ति वगैरह) और ४. भगिनीपति (बहन का पति-बहनोई)। भारती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी चार अर्थ माने गये हैं-१. वाच् (शब्द-वाणी) २. वृत्ति (जीविका वगैरह) ३. सरस्वती तथा ४. खगान्तर (खग विशेष-भारती नाम का पक्षी विशेष)।
भारद्वाजः कुजेऽगस्त्ये द्रोणाचार्ये गुरोःसुते । भार्गवः कुञ्जरे पशुराम - देशविशेषयोः ॥१३६८।। भार्गवी पार्वती-लक्ष्मी-श्वेतदूर्वासु कीर्तिता।
भालाङ्को रोहिते मीने शाकभित्करपत्रयोः ॥१३६६॥ हिन्दी टीका-भारद्वाज शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं—१. कुज (मंगलग्रह) २. अगस्त्य (अगस्त्य ऋषि) ३. द्रोणाचार्य और ४. गुरोःसुत (बृहस्पति का पुत्र)। भार्गव शब्द पुल्लिग है
और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. कुञ्जर (हाथो) २. पशुराम और ३. देशविशेष (भार्गव नाम का देश विशेष)। भार्गवी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं – १. पार्वती (दुर्गा) २. लक्ष्मी, ३. श्वेतदूर्वा (सफेद दूभी)। भालाङ्क शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. रोहित (इन्द्रधनुष वगैरह) २. मीन (मछली) ३. शाकभित् (शाक-भाजी को काटने का साधन विशेष हांसू-दरांता वगैरह) और ४. करपत्र (आरी वगैरह अस्त्र विशेष, जिससे लकड़ी काटी जाती है)।
महालक्षणसम्पन्न - पुरुषे कच्छपे हरे । भावः स्वभावेऽभिप्राये पदार्थेऽभिनयान्तरे ॥१३७०॥ बुधो विभूतौ चेष्टायां सत्तायां योनि-लीलयोः ।
क्रियायां जनने जन्तौ रत्यादिव्यभिचारिणि ॥१३७१।। हिन्दी टीका-भालाङ्क शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. महालक्षण सम्पन्न पुरुष (अत्यन्त भाग्यशाली महापुरुष) २. कच्छप (काचवा-काछु) और ३. हर (भगवान शङ्कर)। भाव शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. स्वभाव (नेचर) २. अभिप्राय (आशय) ३. पदार्थ और ४. अभिनयान्तर (अभिनय विशेष)। भाव शब्द के और भी दस अर्थ माने गये हैं-१. बुध (पण्डित) २. विभूति (ऐश्वर्य वगैरह) ३. चेष्टा, ४. सत्ता (अधिकार) ५. योनि, ६. लीला, ७. क्रिया, ८. जनन (उत्पत्ति) ६. जन्तु (प्राणी) और १०. रत्यादिव्यभिचारी (रति वगैरह व्यभिचारी भाव) को भी अलंकारशास्त्र में भाव शब्द से व्यवहार किया जाता है । इस प्रकार भाव शब्द के कुल चौदह अर्थ जानना। मूल : भावाटो भावके साधौ निवेशे कामुके नटे।
ध्यानेऽधिवासने पर्यालोचने भावना मता ॥१३७२॥ हिन्दी टीका-भावाट शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. भावक (अभिभावक) २. साधु ३. निवेश (प्रवेश) ४. कामुक (विलासी-विषयी) और ५. नट । भावना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. ध्यान, २. अधिवासन (अधिवास करना) और ३. पर्यालोचन (अच्छी तरह विमर्श करना या पर्यालोचना करना)।
मूल :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org