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२२४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - पाण्डु शब्द
मूल :
पीतभागार्द्धे केतकीधूलिसन्निभे ।
वर्णे च सितवर्णे नागभेदे स्यात्पाण्डुरफलीक्षुपे ॥ १२६४॥ पाण्डुः स्त्रीमाषपय स्यात् पाण्डुवर्ण स्त्रियामपि । श्वेतप्रावार- दृषदोः कम्बले पाण्डुकम्बलः ।। १२६५।।
हिन्दी टीका - पाण्डु शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. पीतभागार्द्ध - केतकी धूलि - सन्निभवर्ण (आधा पौतभाग वाला और केतकीधूलि - केवड़े का पराग सदृश वर्ण विशेष) को भी पाण्डु कहते हैं । और २. सितवर्ण (सफेद वर्ण) ३. नागभेद ( नागविशेष) और ४. पाण्डुरफलीक्षुप (पाण्डुर फली नाम की लता विशेष ) । स्त्रीलिंग पाण्डु शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं - १. माषपर्णी (वन उड़द ) और २. पाण्डुवर्णस्त्री (पाण्डु वर्ण वाली स्त्री) । पाण्डुकम्बल शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. श्वेतप्रावार (सफेद चादर ) २. हृषद् (पत्थर) और ३. कम्बल ।
मूल :
पातो विधुन्तुदे त्राते पतने पातकं त्वघे ।
पातालं नागलोके स्याद् विवरे वडवानले ।। १२६६।। लग्नाच्चतुर्थस्थाने च जायुपाकार्थयन्त्रके । पातालनिलयो दैत्ये सर्पे पातालवासिनि ॥ १२६७ ॥
हिन्दी टीका - पात शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. विधुन्तुद (राहु) २. त्रात (रक्षित) ३. पतन ( गिरना ) । पातक शब्द का अर्थ - १. अघ (पाप) होता है । पाताल शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. नागलोक, २. विवर ( बिल, छिद्र) और ३ वडवानल (वडवाग्नि) तथा ४. लग्नाच्चतुर्थस्थान (लग्न से चौथा स्थान) को भी पाताल कहते हैं । और ५. जायुपाकार्थयन्त्रक (दवा पकाने का यन्त्र विशेष ) । पातालनिलय के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. दैत्य, २. सर्प और ३. पातालवासी ( पाताल में रहने वाला) को भी पातालनिलय कहते हैं ।
मूल :
पातिली स्त्री वागुरायां नारी - मृत्पात्रभेदयोः ।
पातुकः पतयालौ स्यात् प्रयाते जलहस्तिनि ॥१२६८ ॥ पात्रं मापकमाने स्यात् त्र वादौ राजमन्त्रिणि । तीरद्वयान्तरे पर्णे योग्ये नाट्यानुकर्तरि ॥१२६६॥
हिन्दी टीका - पातिली शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. वागुरा (पाश जाल) २. नारी (स्त्री) और ३. मृत्पात्रभेद (मिट्टी का बर्तन विशेष - पातिल ) । पातुक शब्द के भी तीन अर्थ होते हैं - १. पतयालु (पतनशील; गिरने की इच्छा वाला) २. प्रयात (प्रस्थित) और ३. जलहस्ती (जलजन्तु विशेष ) । पात्र शब्द के सात अर्थ माने जाते हैं - १. मापकमान ( माप करने वाला परिमाण विशेष ) २. स्रवादि (स्रवत्रच वगैरह पात्र विशेष ) ३. राजमन्त्री और ४. तीरद्वयान्तर (तीरद्वय विशेष ) ५. पर्ण (पत्ता) ६. योग्य (लायक) और ७. नाट्यानुकर्ता (नाट्य का अनुकरण करने वाला) । इस प्रकार पात्र शब्द के सात अर्थ जानना ।
मूल :
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भाजने पात्रटीरस्तु युक्तव्यापारमंत्रिणि । कांस्यपात्रे लौहपात्रे कङ्क े राजतभाजने ॥ १२७०॥
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