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२३४ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - प्रोथ शब्द
विशेष) । प्रेक्षा शब्द के पाँच अर्थ होते हैं - १. नृत्य ( नाच ) २. क्षण (मिनट) ३. बुद्धि (ज्ञान) ४. शाखा ( डाल) और ५. ईक्षण (देखना) |
मूल :
प्रोथ: कट्यामश्वमुखे स्त्रीगर्भे भीषणे स्फिचि ।
प्लवः प्रतिगतौ भेके कपौ प्लवन भेलयोः || १३२७||
अवौ जलान्तरे शत्रौ श्वपचे जलवायसे । प्लवगो वानरे भेके शिरीषे सूर्यसारथौ ॥ १३२८ ॥
हिन्दी टीका - प्रोथ शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. कटि (कमर ) २. अश्वमुख (घोड़े का मुख) ३. स्त्रीगर्भ, ४. भीषण ( भयंकर) और ५. स्फिच् (स्त्र व स्र ुचि वगैरह यज्ञ पात्र विशेष ) । प्लव शब्द के भी पाँच अथ माने गये हैं- १. प्रतिगति ( कूदकर चलना) २. भेक (मेढ़क एड़का ) ३. कपि (बन्दर) ४. प्लवन ( कूदना ) और ५. भेल ( जन्तु विशेष ) । प्लव शब्द के और भी पाँच अर्थ होते हैं - १. अवि (मेड़ा) २. जलान्तर (जल विशेष ) ३. शत्रु, ४. श्त्रपच (चांडाल) और ५. जलवायस ( जल काक ) | प्लवग शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. वानर, २. भेक (मेढ़क, एड़का ) ३. शिरीष ( शिरीष फूल) और ४. सूर्यसारथि (अरुण) इस प्रकार प्लवग शब्द के चार अर्थ जानना ।
मूल :
प्लक्षो द्वीपान्तरे ऽश्वत्थे पक्षके पर्कटिद्रुमे ।
फटा फणायां कितवे कपटेsपि स्त्रियां मता ।। १३२६ ॥ फलं जातीफले लाभे शस्ये वाणाग्र आर्तवे । कक्कोले फलके व्युष्टौ दाने फाले फलत्रिके ॥ १३३०॥
हिन्दी टीका - प्लक्ष शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. द्वीपान्तर (द्वीप विशेष) २. अश्वत्थ (पीपल वृक्ष ) ३. पक्षक (पक्ष, पाख) तथा ४. पर्कटिद्र ुम ( पाकड़ का वृक्ष) । फटा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. फणा, २. कितव ( धूर्त) और ३. कपट ( छल । फल शब्द के ग्यारह अर्थ माने जाते हैं -- १. जातीफल (जायफल) २. लाभ, ३. शस्य (प्रशंसनीय ) ४. बाणा (बाण का नोक भाग) ५ आर्तव ( मासिक धर्म) ६. कक्कोल, ७. फलक, ८. व्युष्टि (फल या समृद्धि) ९. दान, १०. फाल ११. फलत्रिक त्रिफला ।
मूल :
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फलोदयः फलोत्पत्तौ हर्षे लाभे सुरालये ।
फाल: शिवे प्रलम्बघ्ने कृषिके त्रिषु वाससि ॥१३३१ ॥
फाल्गुनस्तु गुडाकेशे नदीजा - ऽर्जुनपादपे । तपस्यसंज्ञमासे तत्पूर्णिमायान्तु फाल्गुनी ॥ १३३२॥
हिन्दी टीका - फलोदय शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. फलोत्पत्ति, २ . हर्ष, ३. लाभ, ४ सुरालय (स्वर्ग) । पुल्लिंग फाल शब्द के तीन अर्थ माने गये हैं- १ . शिव, २. प्रलम्बघ्न (कार्ति केय) ३. कृषिक (खेती) किन्तु ४. वासस् ( कपड़ा) अर्थ में फाल शब्द त्रिलिंग माना जाता है । फाल्गुन शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. गुडाकेश (अर्जुन) २. नदीजार्जुनपादप (जल में उत्पन्न होने वाला अर्जुन नाम का वृक्ष विशेष, जिसको कौपीतक भी कहते हैं) और ३. तपस्यसंज्ञमास ( तपस्य संज्ञा
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