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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-पूग शब्द | २२६ हिन्दी टीका-पूग शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं-कण्टकिवृक्ष (कटार वगैरह का पेड़) २. गुवाक (सुपारी) ३. व्यूह (समूह वगैरह) ४. भाव (विद्वान्, मानसिक विकार वगैरह)। पूतना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. दानवीभेद (दानवी विशेष-पतना म की राक्षसी) २. गन्धमांसी (गन्धमांसी नाम की राक्षसी विशेष) और ३. गदान्तर (गदविशेष-रोग)। पूरण शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. पूरक (पूर्ण करने वाला) २. पिण्डप्रभेद (पिण्ड विशेष) और ३. वानतन्तु (कपड़े बुनने का धागा- तन्तु) । पृथग्जन शब्द के चार अर्थ माने गये हैं-१. भिन्नलोक (दूसरा-अन्य मनुष्य) २. मूर्ख, ३. नीच (अधम) और ४. पापी (पाप करने वाला) इस तरह पृथग्जन शब्द के चार अर्थ जानना। मूल : पृदाकुर्भुजगे व्याघ्र वृश्चिके कुञ्जरे तरौ।
पेचको वायसा रातौ पर्यः मेघ-यूकयोः ॥१२६६॥ पेशलः कोमले दक्षे धूर्त सुन्दरयोस्त्रिषु ।
पोतो वस्त्रे गृहस्थाने दशवर्षीय हस्तिनि ॥१२९७॥ हिन्दी टीका-पृदाकु शब्द के पाँच अर्थ माने गये हैं-१. भुजग (सर्प) २. व्याघ्र (बाघ) ३. वृश्चिक (बिच्छू) ४. कुञ्जर (हाथी) और ५. तरु (वृक्ष) । पेचक शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. वायसाराति (वायस काक का अराति-शत्रु-खजनचिरैया घनछुहा) २. पर्यङ्क (पलंग चारपाई) ३. मेघ (बादल)
और ४. यूक (जू-लीख)। त्रिलिंग पेशल शब्द के भी चार अर्थ माने जाते हैं-१. कोमल, २. दक्ष (निपुण) ३. धूर्त (वञ्चक) और ४. सुन्दर । पोत शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. वस्त्र (कपड़ा) २. गृहस्थान और ३. दश वर्षीय हस्ती (दस वर्ष का हाथी) इस प्रकार पोत शब्द के तीन अर्थ समझने चाहिए।
पोत्रं शूकरवक्त्राग्रे लाङ्गलाग्र वहित्रयोः ।
पौण्ड्र इक्षुप्रभेदे स्यात् शंख देश प्रभेदयोः ॥१२६८।। हिन्दी टोका-पोत्र शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं—१. शूकरवक्त्राग्र (शूकर का मुखाग्र) और २ लाङ्गलाग्र (हल का अग्र भाग) तथा ३. वहित्र (नौका का पतवार)। पौण्ड्र शब्द के भी तीन अर्थ होते हैं-१. इक्षुप्रभेद (गन्ना विशेष) २. शंख और ३. देशप्रभेद (देश विशेष)।
पौरुषं पुरुषस्योक्तो भावे कर्मणि पौरुषे । पौरुषेयो वधे संघे पुरुषस्य पदान्तरे ॥१२६६॥ प्रकाण्डो विटपे दण्डे शस्ते चोत्तरसंस्थिते ।
प्रकाशो अतिप्रसिद्ध स्यात् प्रहासे व्यक्त आतपे ॥१३००। हिन्दी टोका-पौरुष शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. पुरुषस्योक्त (पुरुष से कहा गया, पुरुष वाक्य) २. भाव (पुरुषत्व) ३. कर्म (पुरुष कर्म) और ४. पौरुष (पुरुषार्थ)। पौरुषेय शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. वध, २. संघ (समूह) और ३. पुरुषस्य पदान्तर (पुरुष का पद
शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. विटप (डाल, शाखा) २ दण्ड (दण्डा, यष्टि, लाठी) ३. शस्त (प्रशस्त) और ४. उत्तरसंस्थित (उत्तर संस्थान आगे की ओर प्रस्थान)। प्रकाश शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. अतिप्रसिद्ध (अत्यन्त विख्यात) २. प्रहास (अट्टहास या हंसी मखौल) और ३. व्यक्त (स्पष्ट) तथा ४. आतप (धूप, तड़का) इस प्रकार प्रकाश शब्द के चार अर्थ समझना।
मूल :
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