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२२६ / नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-पादग्रन्थ्यधर शब्द
पाक्षिक स्यात् पक्षभवे पक्षपातिनि च त्रिषु ।
पक्षाघातान्विते पक्षसंयुते पक्षिघातके ॥१२७७॥ हिन्दी टोका-पादग्रन्थ्यधर शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं -१. पृष्ठ (पृष्ठ भाग) २. सैन्यपृष्ठ और ३. जयस्पृहा (विजय की इच्छा)। पाशी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. वरुण, २. व्याध (व्याधा, शिकारी) ३. यम (धर्मराज) किन्तु ४. पाशधर (पाश को धारण करने वाला) अर्थ में पाशी शब्द त्रिलिंग माना गया है। पाक्षिक शब्द त्रिलिंग है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं-१. पक्षभव (पक्ष में होने वाला) २. पक्षपाती (पक्षपात करने वाला) ३. पक्षाघातान्वित (पक्षाघात- अर्धाङ्ग रोग विशेष, जिससे शरीर का आधा भाग शून्य हो जाता है उससे युक्त) ४. पक्षसंयुत (पांख से युक्त) और ५. पक्षिघातक (पक्षी को घात करने वाला)। इस प्रकार पाक्षिक शब्द के पांच अर्थ जानना। मूल :
पिङ्गलो नागभेदे स्यात् ना रुद्रेऽग्नौ कपिले कपौ। निधिभेदे स्थावराख्य विषभेदर्षिभेदयोः ।।१२७८॥ क्षुद्रोलू के वर्षभेदे पिशङ्ग तद्वति त्रिषु ।
नाडीभेदे पक्षिभेदे बलाकायामसौ त्रिषु ॥१२७६।। हिन्दी टीका-पिंगल शब्द पुल्लिग है और उसके आठ अर्थ माने जाते हैं-१. नागभेद (नागविशेष-पिंगल नाम का सर्प विशेष) २. रुद्र (शंकर) ३. अग्नि, ४. कपिल (पिंगल वर्ण) ५. कपि (वानर) ६. निधिभेद (निधि विशेष) ७. स्थावराख्यविषभेद (स्थावर नाम का जहर विशेष) तथा ८. ऋषिभेद (ऋषि विशेष, पिङ्गलाचार्य)। पुल्लिग पिंगल शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं -१. क्षुद्रोलूक (छोटा उल्लू, पक्षी विशेष जिसको दिन में नहीं सूझता है ।) २. वर्षभेद (वर्ष विशेष, पिंगल नाम का प्रसिद्ध वर्ष विशेष) तथा ३. पिशङ्ग (पिंगल-भूरा वर्ण) किन्तु ४. तद्वति (पिंगलवर्णयुक्त) अर्थ में पिंगल शब्द त्रिलिंग माना जाता है। इसी प्रकार १. नाडीभेद (नाडी विशेष, पिंगल नाम का नस) २. पक्षिभेद (पक्षी विशेष) और ३. बलाका (सारस पक्षी या वक पंक्ति) इन तीनों अर्थों में भी पिंगल शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है। मूल : शिशया-कणिका-राजरीति-वेश्याभिदासु च ।
पिच्छा छटायां मोचायां चोलिका फणिलालयोः ॥१२८०॥ भक्तमण्डे तथा पूगे पङक्तावश्वपदामये ।
शाल्मलीवेष्टने कौषे चामरे शिशपातरौ ॥१२८१॥ हिन्दी टोका-स्त्रीलिंग पिंगला शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं -१. शिंशया (शीशो का पेड़) २. कणिका (ऐरन झूमक कर्णफूल वगैरह कान का भूषण) ३. राजरीति (राजाओं के रीतिरिवाज) तथा ४ वेश्याभिदा (वेश्या विशेष—पिंगला नाम की वेश्या)। पिच्छा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके बारह अर्थ माने जाते हैं-१. छटा (ढंग) २. मोचा (कदली, केला) ३. चोलिका (चौलाई या कञ्चुक चोली) ४. फणिलाल (सर्प का बच्चा वगैरह) ५. भक्तमण्ड (भात का मांड) ६. पूग (संघ) ७. पंक्ति ८. अश्वपदामय (घोड़े के पाद का रोग) ६. शाल्मलीवेष्टन (शेमर वृक्ष का वेष्टन-लपेट) १०. कोष, ११ चामर एवं १२. शिशपातरु (शीशो का पेड़)। इस प्रकार पिच्छा शब्द के बारह अर्थ जानना।
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