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२०६ / नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित--पटच्चर शब्द १. कर्पट (रोटी) २. चित्रपट (फोटो) ३. शोभनवासस् (सुन्दर कपड़ा) और ४. प्रियालवृक्ष (प्रियाल नाम का वृक्ष विशेष) किन्तु ५. पुरस्कृत (सत्कृत) अर्थ में पट शब्द त्रिलिंग माना जाता है। पटकुटी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-- १. वस्त्रगृह (कपड़े का घर-तम्बू कनात) होता है ।
पटच्चरं जीर्णवस्त्रे तस्करे तु पुमानसौ । शाटिकायां वस्त्रगेहे प्राज्ञा: पटमयं विदुः ॥११५५।। पटलं तिलके चाले नेत्ररोगे परिच्छदे ।
समूहे पिटके ग्रन्थे दृष्टेरावरके तरौ ।।११५६।। हिन्दी टीका-नपुंसक पटच्चर शब्द का अर्थ-१. जीर्णवस्त्र (फटा पुराना कपड़ा) होता है किन्तु २. तस्कर (चोर) अर्थ में पटच्चर शब्द पुल्लिग माना जाता है । पटमय शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. शाटिका (सारी) और २. वस्त्रगेह (कपड़े का घर) । पटल शब्द के नौ अर्थ माने गये हैं-१. तिलक (चन्दन) २. चाल (कम्पन) ३. नेत्र रोग (आंख का रोग विशेष) और ४. परिच्छद (परिवार) ५. पिटक (पिटारी) ६. ग्रन्थ, ७. दृष्टेरावरक (नजर का प्रतिबन्धक) और ८. तरु (वृक्ष) तथा ६. समूह (समुदाय) इस प्रकार पटल शब्द के नौ अर्थ जानना ।
आडम्बरे समारम्भे हिंसने पटहः पुमान् । अस्त्रियां मानके वाद्ये पटि तु कुम्भिकाद्रुमे ॥११५७॥ वागुलौ पटभेदेऽथ काण्डपटयां पटे पटी।
पटीरं चन्दने तुङ्ग केदारे खदिरेऽम्बुदे ॥११५८।। हिन्दी टोका--पुल्लिग पटह शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं—१. आडम्बर (दिखावा) २. समारम्भ (तैयारी) और ३. हिंसन (हिंसा-वध करना) किन्तु ४. मानक वाद्य (नगाड़ा ढोल वगैरह वाद्य-बाजा विशेष) अर्थ में पटह शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक माना जाता है। पटि शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. कुम्भिका द्रम (पुर इनया जल कुम्भी अथवा कुम्भिका नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष)
और २. वागुलि तथा ३. पटभेद (वस्त्र विशेष)। पटी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं -- १ काण्डपटी (पताका) और २. पट (कपड़ा वस्त्र)। पटोर शब्द नपुंसक है और उसके पांच अर्थ होते हैं१. चन्दन (श्रीखण्ड चन्दन) २. तुंग (ऊँचा) ३. केदार (खेत, क्यारी) ४. खदिर (कत्था) और ५. अम्बुद (बादल मेघ) इस प्रकार पटोर शब्द के पाँच अर्थ जानना। मूल : तितऔ वेणुसारे च मूलके वातिके स्मरे ।
उदरे हरणीयेऽथ छत्रा - लवणयोः पटु ॥११५६।। पटुः पुमान् पटोले स्यात् कारवेल्ले च चोरके ।
पटोल पत्रे काण्डीर लतायां च प्रयुज्यते ॥११६०।। हिन्दी टीका--पटीर शब्द के और भी सात अर्थ माने नये हैं-१. तितउ (चालनी) २. वेणुसार (बाँस का सार भाग) ३. मूलक (मूलो, मुरै) और ४. वातिक (पटुआ सन) तथा ५. स्मर (कामदेव) ६. उदर (पेट) और ७. हरणीय (रमणीय) । नपुंसक पटु शब्द के दो अर्थ माने गये हैं—१. छत्रा (सोंफ या
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