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नानार्थोदयसागर कोष हिन्दी टीका सहित - पटु शब्द | २०७
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सोआ) और २. लवण (नमक) । पुल्लिंग पटु शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं -- १. पटोल ( परबल ) २. कारवेल्ल (करेला) और ३. चोरक (चोर) तथा ४. पटोलपत्र ( परबल का पत्ता) और ५. काण्डीरलता ( काण्डीर नाम की लता विशेष) इस प्रकार पटु शब्द का कुल मिलाकर सात अर्थ जानना चाहिये । पटुस्तीक्ष्णे स्फुटे धूर्ते दक्ष नीरोगयोस्त्रिषु । निष्ठुरेऽथ पटोलं स्याद् वस्त्रभेदे लताफले ॥११६१॥ पट्टः पेषण पाषाणे फलके ब्रणबन्धने । चतुष्पथे च कौशेये राजादेः शासनान्तरे ॥। ११६२।।
मूल :
हिन्दी टीका - पुल्लिंग पटु शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं - १. तीक्ष्ण (तीव्र) २. स्फुट (स्पष्ट ) और ३. धूर्त (वञ्चक) किन्तु ४, दक्ष (निपुण) और ५. नीरोग अर्थ में तथा ६. निष्ठुर (कठोर) अर्थ में पटु शब्द त्रिलिंग माना गया है । पटोल शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. वस्त्र भेद (वस्त्र विशेष - पटोर) और २ लताफल ( परबल) । पट्ट शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ माने गये हैं१. पेषण पाषाण (पीसने का पत्थर) २. फलक ( चौकी) और ३. ब्रणबन्धन ( घाव बांधने की पट्टो ) तथा ४. चतुष्पथ (चौराहा) ५. कौशेय (रेशम बस्त्र) और ६ राजादे: शासनान्तर ( राजा वगैरह का शासन विशेष) इस प्रकार पट्ट शब्द के छह अर्थ समझना ।
मूल :
संव्यानोष्णीषयोः रक्तकौशेयोष्णीष- पीढयोः । पट्टी ललाटभूषायां कमु तलसारके ॥११६३।। पणः कार्षापणे द्यूते गृहे कार्षिक ताम्रि । निर्वेशे शौण्डिके मूल्ये धने
विशति गण्डके ||११६४॥
हिन्दी टीका-पट्ट शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं- १. संव्यान ( चादर ) २. उष्णीष ( पगड़ी) और ३ रक्तकौशेयोष्णीष (लाल रेशम की पगड़ी) तथा ४. पीठ (आसन विशेष ) | पट्टी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. ललाट भूषा ( ललाट का भूषण) २. क्रमुक ( पट्टिका लोध्र या सुपारी) ३. तलसारक (घोड़े के वक्षस्थल का बन्धन रज्जु डोरी) । पण शब्द पुल्लिंग है और उसके तेरह अर्थ माने जाते हैं - १. कार्षापण (चौवन्नी, रुपये का चतुर्थांश) २. द्यूत (जुआ) ३. गृह ( मकान ) और ४. कार्षिक ताम्रिक (पैसा) ५. निर्देश ( वेतन, तनखाह या मजदूरी) ६. शौण्डिक (सूरी, तेली, घांची कलवार) ७. मूल्य (कीमत दाम) ८. धन, ६. विंशतिगण्डक (बीसगण्डा चार आना) ।
मूल :
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क्रय शाकाट्टिकायां च व्यवहारे भृतो ग्लहे ।
पणितं त्रिषु विक्रीते स्तुते व्यवहृतेऽपि च ।। ११६५।। पण्यविक्रय शालायां हट्ट े स्यात् पण्यवीथिका । पतङ्गो भास्करे शालि प्रभेदे शलभे खगे ॥११६६॥
हिन्दी टीका - पण शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. क्रय्य शाकाट्टिका (खरीदने लायक, खरीद किये जाने वाले शाक-भाजी का हाट बाजार दुकान ) २. व्यवहार और ३. भृति ( मजदूरी) तथा ४. ग्लह (जुआ) इस प्रकार कुल मिलाकर पण शब्द के तेरह अर्थ जानना चाहिये । पणित शब्द
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