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२१६ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-परेत शब्द (नील रङ्ग का कटसरैया वृक्षलता विशेष) और ३. परूषक (कठोर) किन्तु त्रिलिंग परुष शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. रूक्ष (रूखा-सूखा) और २. निष्ठुरोक्ति (निष्ठुर वचन) तथा ३. कर्बुर (चितकबरा)। इस प्रकार परुष शब्द के कुल छह अर्थ जानना। मूल : मृते त्रिषु परेतः स्यात् भूतभेदे त्वसौ पुमान् ।
परैथितः पिके पुंसि परसंवर्धिते त्रिषु ॥१२१५।। हिन्दी टीका-त्रिलिंग परेत शब्द का अर्थ-१. मृत (मरा हुआ) होता है। किन्तु २. भूतभेद (भूत विशेष) अर्थ में परेत शब्द पुल्लिग माना जाता है । पुल्लिग परैधित शब्द का अर्थ-१. पिक (कोयल) होता है। किन्तु २. परसंवर्धित (दूसरों से परिवर्धित) अर्थ में परैधित शब्द त्रिलिंग माना जाता है। मूल : पर्जन्यो वासवे मेघे स्तनिते ध्वनदम्बुदे ।
स्त्री स्याद् दारु हरिद्रायां पर्ण ताम्बूलपत्रयोः ॥१२१६॥ पर्णसि: कमले शाके भूषणे जलसद्मनि ।
पर्दः. केशचयेऽपानवायूत्सर्गेऽपि कीर्तितः ॥१२१७।। हिन्दी टीका-'पर्जन्य शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. वासव (इन्द्र) २. मेघ (बादल) ३. स्तनित (घन गर्जन) और ४. ध्वनदम्बुद (गरजता हुआ मेघ) किन्तु ५. दारुहरिद्रा (हलदो विशेष) अर्थ में पर्जन्य शब्द स्त्रीलिंग (पर्जन्या) माना जाता है। पत्र और ताम्बूल (पान) इन दोनों अर्थों में नपुंसक पर्ण शब्द का प्रयोग किया जाता है अर्थात् पर्ण शब्द का अर्थ--१. पत्र और २. ताम्बूल होता है। पर्णसि शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं—१. कमल, २. शाक, ३. भूषण (अलंकार-जेबर) और ४. जलसद्म (समुद्र या बादल)। पर्द शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. केशचय (केश समूह) और २. अपानवायूत्सर्ग अपानवायु का त्याग)। इस प्रकार पर्द शब्द के दो अर्थ जानना ।
पएं गृहे खजवाह्यशकटे ऽभिनवे तृणे । पर्पट: पुंसि तृष्णारिवृक्ष - पिष्टकभेदयोः ।।१२१८॥ पर्पटी जतुकृष्णायां सौराष्ट्रमृदि पिष्टके ।
पर्परीकः सहस्रांशौ पावके च जलाशये ॥१२१६॥ हिन्दी टोका-पर्प शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१ गृह (मकान, घर) २. खजवाह्यशकट (लंगड़ा पुरुष के द्वारा वहन करने योग्य शकट-गाड़ो) ३. अभिनव (नूतन, नया) और ४. तृण (घास) । पर्पट शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं ... १. तृष्णारिवृक्ष (तृष्णा का नाशक वृक्ष विशेष-सोमलता वगैरह) और २. पिष्टकभेद (पिष्टकविशेष-पाउडर)। पर्पटी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. जतकृष्णा (काला लाख) २. सौराष्टमद (सौराष्ट्र की मृत्तिकामिट्टी विशेष) और ३. पिष्टक (पिठार)। पर्परीक शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं-१. सहस्रांशु (सूर्य) २. पावक (वन्हि-अग्नि) और ३ जलाशय (तालाब वगैरह) । मूल: पर्याप्तं वारणे तृप्तौ प्राप्तौ शक्ति-यथेष्ट्योः ।
पर्याप्तिः स्यात् स्त्रियां प्राप्तौ परित्राण प्रकाशयोः ॥१२२०॥
मूल :
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