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मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-निष्क्रम शब्द | १९७ (गृहोद्यान)। निष्क्रम शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. बुद्धिसामर्थ्य (प्रतिभा-नौलेज) २. निर्गम (निकलना) और ३. दुष्कुल (नीच कुल) । इस प्रकार निष्क्रम शब्द के तीन अर्थ समझना ।
स्यान्निष्क्रमण संस्कारे, निस्तारेऽपि च निष्कृतिः । निष्क्रयो निर्गतौ बुद्धियोग - प्रत्युपकारयोः ॥११०१॥ भृतौ विनिमये शक्तौ निष्क्रियं ब्रह्मणि स्मृतम् ।
निष्ठा निर्वहणे नाशे निष्पत्तावन्त याञयोः ।।११०२।। हिन्दी टीका-निष्क्रम शब्द का एक और भी अर्थ माना जाता है-१. निष्क्रमण संस्कार (शिशु -नवजात बालक का निष्क्रमण नामक संस्कार)। निष्कृति शब्द का अर्थ--१. निस्तार (पूरा करना या समाप्त करना) । निष्क्रय शब्द के छह अर्थ माने जाते हैं—१. निर्गति (निकलना) २. बुद्धियोग (ध्यान देना) ३. प्रत्युपकार (प्रत्युपकार करना) ४. भृति (सेवाकर्म) ५. विनिमय (परस्पर बदला करना) और ६. शक्ति (सामर्थ्य) । निष्क्रिय शब्द का अर्थ--१. ब्रह्म (परमात्मा) होता है। निष्ठा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं-- १. निर्वहण (वहन करना) २. नाश (ध्वंस) ३. निष्पत्ति (निष्पन्न होना) ४. अन्त (समाप्ति) और ५. याच्या (याचना करना) इस तरह निष्ठा शब्द के पांच अर्थ समझना। मूल : व्याकृतिप्रत्यये प्राप्ये श्रद्धायामपि कीर्तिता।
निष्पक्वं पक्वताशून्ये क्वथितेऽपि त्रिलिंगकम् ।।११०३।। सिद्धौ समाप्तौ निष्पत्तिविद्वद्भिः परिकीर्तिता ।
निष्पावो राजशिम्ब्यां स्यात् सूर्पवायौ समीरणे ॥११०४॥ हिन्दो टीका - निष्ठा शब्द के और भी चार अर्थ माने गये हैं—१.व्याकृतिप्रत्यय (व्याकरण शास्त्र का प्रत्यय-क्त-क्तवतु नाम के दो प्रत्ययों को पाणिनीय व्याकरण में निष्ठा संज्ञा की गई है) और २. प्राप्य (ध्येय वस्तु-प्राप्तव्य पदार्थ) ३. श्रद्धा (आस्तिक भावना-विश्वास वगैरह) को भी निष्ठा कहते हैं। निष्पक्व शब्द त्रिलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. पक्वताशून्य (अपरिपक्व) और २. क्वथित (उकाला हुआ)। निष्पत्ति शब्द के दो अर्थ माने गये हैं--१. सिद्धि (सफलता) और २. समाप्ति (समाप्त होना)। निष्पाव शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. राजशिम्बी (बड़ा सेम मटर छिमी बटाना) २. सूर्पवायु (सूप का पवन) और ३. समीरण (वायु) इस तरह निष्पाव शब्द के तीन अर्थ समझने चाहिए। मूल : धान्यादि निस्तुषीकार्य बहुलीकरणादिषु ।
राजमाषे शिम्बिकायां निर्विकल्पे कडङ्गरे ॥११०५।। निसर्गस्तु स्वभावे स्यात्सर्गे रूपेऽपि कीर्तितः ।
निसृष्टे न्यस्त मध्यस्थे निसृष्टार्थो नरोत्तमे ।।११०६॥ हिन्दी टीका-निष्पाव शब्द के और भी पाँच अर्थ माने जाते हैं--१. धान्यादि निस्तुषी कार्य बहुलीकरणादि (धान वगैरह अन्न का छिलका–बुस्सा उड़ाना और फैलाना) २. राजमाष (उड़द) ३. शिम्बिका (शेम मटर छिमी बटाना) ४. निर्विकल्प (निःसन्देह) और ५. कडंङ्गर (बुस्सा-भुस्सा(छिलका) । निसर्ग शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं- १. स्वभाव २. सर्ग (सृष्टि रचना)
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