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१६८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - निसृष्टार्थ शब्द
३. रूप ( सौन्दर्य) और ४. निसृष्ट (भेजा गया) तथा ५ न्यस्त मध्यस्थ (मध्यस्थ रूप में निर्धारित किया गया) | निसृष्टार्थ शब्द का अर्थ - १. नरोत्तम (उत्तम पुरुष ) होता है । इस तरह निसर्ग शब्द के पाँच और निसृष्टार्थ का एक अर्थ जानना ।
मूल :
धनायव्ययरक्षादि नियुक्त
दूत्यकृद्भिदि । त्रिषु निस्तुषितं त्यक्ते त्वग्विहीने लघूकृते ॥। ११०७।। निस्त्रिशो निर्दये खड्गे त्रिशत्शून्येऽपि कीर्तितः ।
नवोsपतौ गुप्तेऽविश्वासे निकृतावपि ॥। ११०८ ॥
हिन्दी टीका - निसृष्टार्थ शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. धनायव्ययरक्षादि नियुक्त ( धन के आय-व्यय की रक्षा वगैरह करने के लिए नियुक्त) और २. दूत्यकृद् भेद (दृत्य - दूत कर्म करने वाला ) | निस्तुषित शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं - १. व्यक्त (परित्यक्त) २. त्वग्विहीन (छिलका रहित करना) और ३ लघुकृत ( हलका करना) । निस्त्रिश शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं - १. निर्दय (कठोर ) २. खड्ग (तलवार) ३. त्रिंशत् शून्य ( तीस से रहित ) । निह्नव शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं - १. अपह्न ुति (अपलाप) २. गुप्त (रहस्य) ३. अविश्वास ( विश्वास नहीं करना) और ४. निकृति ( निकार - पराभव) इस तरह निह्नव शब्द के चार अर्थ जानना चाहिये ।
मूल :
निक्षेपः क्षेपणे त्यागे स्यात् समर्पित वस्तुनि । नीकाश उपमायां स्यात् तुल्य- निश्चययोरपि ॥ ११० ॥
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नीचः स्यात् पामरे नम्र वामने चोरके स्मृतः ।
नीचगः पामरे नीरे क्लीवं सरिति नीचगा ।। १११० ।।
हिन्दी टीका - निक्षेप शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. क्षेपण (फेंकना) २ . त्याग (त्याग करना) और ३. समर्पित वस्तु ( थाती - न्यास के रूप में रखी हुई वस्तु ) । नीकाश शब्द पुल्लिंग है और उसके भी तीन अर्थ माने गये हैं-१ उपमा ( सादृश्य) २. तुल्य ( सदृश सरखा) और ३. निश्चय (निर्णय) । नीच शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. पामर (कायर) २. नम्र (विनीत) ३. वामन (नाटा) और ४. चोरक (चोर) । नोचग शब्द भी १ पामर (कायर) अर्थ में पुल्लिंग है और २. नीर (जल, पानी) अर्थ में नपुंसक है और ३. सरित् (नदी) अर्थ में स्त्रीलिंग नीचगा शब्द जानना चाहिये ।
मूल :
नीड: कुलाये स्थानेऽस्त्री नीतिः स्त्रीप्रापणे नये ।
नीध्र चन्द्रे वने नेमौ रेवती भ-वलीकयोः ॥ ११११ ॥
नीपः कदम्बे बन्धूकेऽशोक-धारा कदम्बयोः ।
नीरं जले रसेऽपि स्यात् नीरजन्तु सरोरुहे ।। १११२ ।।
हिन्दी टीका - नीड शब्द पुल्लिंग और नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं—१. कुलाय ( नीड़ - घोंसला खोंता ) २. स्थान ( जगह ) । नीति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं१. प्रापण (पहुँचाना) और २ नय ( नीति विद्या) । नीघ्र शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ माने गये
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