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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-निरूह शब्द | १९१ मूल : ऊह शून्ये निरोधस्तु निग्रहे रोधा-नाशयोः ।
निर्ऋतिः पुंस्यलक्ष्म्या स्यात् नैऋते निरुपद्रवे ॥१०६३॥ __ हिन्दी टीका-निरूह शब्द का १ ऊहशून्य (तर्कशून्य) अर्थ भी होता है। निरोध शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. निग्रह, २. रोध (रोकना) और ३. नाश। निऋति शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. अलक्ष्मी (दरिद्रा) २. नैऋत (राक्षस) और ३. निरुपद्रव (उपद्रव रहित) इस प्रकार निऋति शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिए। मूल: निर्गुणः परमेशाने विद्यादिगुण वजिते ।
निर्ग्रन्थो वालिशे निस्स्वे मुनौ क्षपणके जिने ॥१०६४॥ निवृत्तहृदयग्रन्थौ द्यूतकर्तरि नग्नके ।
निर्ग्रन्थक: क्षपणके निष्फले चापरिच्छदे ॥१०६५॥ हिन्दी टीका - निर्गुण शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. परमेशान (परमात्मा) और २. विद्यादिगुणजित (विद्या आदि - दया दाक्षिण्य वगैरह गुणों से रहित) । निर्ग्रन्थ शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं१. वालिश (मूर्ख-अज्ञ) २. निस्स्व (निर्धन-गरीब) ३. मुनि (महात्मा साधु) ४. क्षपणक (संन्यासी) तथा ५. जिन (भगवान तीर्थंकर) । निर्ग्रन्थ शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. निवृत्तहृदयग्रन्थि (जिसके हृदय की ग्रन्थि-गाँठ अविद्या अज्ञानता नष्ट हो गई है - तत्वज्ञानी) २ द्यूतकर्ता (जुआ खेलने वाला) तथा ३. नग्नक (दिगम्बर) । निर्ग्रन्थक शब्द के भी तीन अर्थ होते हैं-१. क्षपणक (संन्यासी) २. निष्फल (फलरहित-सांसारिक आसक्ति रहित) और ३. अपरिच्छद (परिच्छद परिवार रहित) इस तरह निर्ग्रन्थक शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिए।
निर्घण्टने स्थानिर्घन्टो निघण्टौ गणसंग्रहे । निर्जरस्त्रिदशे पुंसि सुधायां तु नपुंसकम् ॥१०६६॥ त्रिलिंग: स्याज्जरात्यक्ते गुडूची-मुरयो: स्त्रियाम् ।
निजितस्त्रिषु विज्ञयः पराभूते वशीकृते ॥१०६७।। हिन्दी टोका-निर्घण्ट शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. निर्घण्टन (घण्टारहित) २. निघण्टु (निघण्टु नाम का वैदिक कोष) तथा ३. गणसंग्रह । निर्जर शब्द-१. त्रिदश (देवता) अर्थ में पुल्लिग है किन्तु २. सुधा (अमृत) अर्थ में नपुंसक है । १. जरात्यक्त (जरा-वृद्धावस्थारहित) और २. गुडूची (गिलोय) तथा ३. मुरा (मुरा नाम का प्रसिद्ध सुगन्ध द्रव्य विशेष)। इन तीन अर्थों में निर्जर शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है । निजित शब्द-१. पराभूत (पराजित) और २. वशीकृत (वश में किया हुआ) इन दो अर्थों में त्रिलिंग है।
निर्जीवः प्राणरहिते जीवात्मरहिते त्रिषु । निर्झरः सूर्यतुरगे झरे पुंसि तुषानले ॥१०६८।। निर्दटस्तु दयाशून्ये निष्प्रयोजन - तीव्रयोः ।
परापवादनिरते मतेऽपि कविभिः स्मृतः ॥१०६६।। हिन्दी टीका-निर्जीव शब्द १. प्राणरहित (प्राणशून्य) और २. जीवात्मरहित (जीवात्मा रहित) इन दोनों अर्थों में त्रिलिंग माना जाता है। निर्झर शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. सूर्य
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