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नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - आढ्य शब्द | २५
हिन्दी टीका अय शब्द त्रिलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. धनिक (धनी) और २. विशिष्ट ( गरिष्ठ-श्रेष्ठ वगैरह ) यह आढ्य शब्द वाच्यवत् (विशेष्यनिघ्न) होने से त्रिलिंग माना जाता है । इसी तरह आतङ्क शब्द भी पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. शङ्का (सन्देह ) २. सन्ताप ( पीड़ा ) ३. सुरज ध्वनि (पखावज - मृदंग की आबाज ) ४. आमय (रोग) और ५. ज्वर (बुखार) । इसी प्रकार आणि शब्द भी पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. सीमा (हद) २. अश्रि (नोंक) ३. अक्ष (पाशा जुआ गोटी ४. अग्र (अग्र भाग) ५ कील (खील काँटी) । इसी तरह आत्मभू शब्द भी पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं -१ ब्रह्म (परमेश्वर ) २. शिव (शंकर) ३. कन्दर्प (कामदेव ) और ४. गरुड़ध्वज (गरुड़ का ध्वज पताका । इस तरह आढ्य शब्द के दो, आतङ्क शब्द के पाँच, आणि शब्द के पाँच और आत्मभू शब्द के चार अर्थ समझना चाहिए ।
मूल :
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आत्मा जीवे धृतौ बुद्धौ पुत्रे ब्रह्मणि मानसे । यत्ने स्वभावे मार्तण्डे परव्यावर्तनेऽनले ॥ १२८ ॥
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आदर्शः पुंसिटीकायां दर्पणे प्रतिपुस्तके
अष्टापदस्तु शरभे लूतायां कीलके कृमौ ॥ १२६ ॥
हिन्दी टीका - आत्मन् शब्द पुल्लिंग है और उसके ११ अर्थ होते हैं - १. जीव ( जीवात्मा) २. धृति (धैर्य) ३. बुद्धि (ज्ञान) ४. पुत्र ५. ब्रह्म (परमात्मा ) ६. मानस ( मन ) ७ यत्न (अध्यवसाय पुरुषार्थ वगैरह ) ८. स्वभाव मार्तण्ड (सूर्य) १०. परव्यावर्तन ( अन्य की व्यावृत्ति हटाना ) ११. अनले (आग) । आदर्श शब्द भी पुल्लिंग ही है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. टीका (व्याख्या विशेष) २. दर्पण (आइना) और ३. प्रतिपुस्तक ( पुस्तक की प्रति ) । अष्टापद शब्द भी पुल्लिंग ही है और उसके ४ अर्थ होते हैं - १. शरभ (पशु जाति विशेष) २. लूता (मकर) ३ कीलक (खील कांटी) और ४. कृमि (कीड़ा ) । इस प्रकार आत्मा शब्द के ११, आदर्श शब्द के तीन और अष्टापद शब्द के चार अर्थ समझने चाहिए ।
मूल :
कैलासपर्वते चन्द्रमल्ल्यां शाखामृगे पुमान् । असत् मूर्खेऽविद्यमानेऽनित्येऽसाधौ च निष्फलें ॥१३०॥ निन्दिते जडवर्गेऽपि त्रिष्वसन् पुंसिवासवे ।
असितः कृष्णपक्षे च कृष्णवर्णे शनिग्रहे ॥ १३१ ॥
हिन्दी टीका - ५. कैलास पर्वत, ६. चन्द्रमल्ली (माली पात्र विशेष) और ७ शाखामृग ( वानर ) इन अर्थों में भी अष्टापद शब्द का व्यवहार होता है। इस तरह अष्टापद शब्द के ७ अर्थ हुए। असत् पुल्लिंग स्त्रीलिंग नपुंसक शब्द के सात अर्थ होते हैं - १. मूर्ख (अनपढ़ ) २. अविद्यमान ३. अनित्य ( विनाशी) ४. असाधु ( अच्छा नहीं ) ५. निष्फल ( निरर्थक वगैरह ) ६ निम्बित (गर्हित- निन्दा का पात्र) और ७. जडवर्ग (अचेतन समूह) और पुल्लिंग असत् शब्द का वासव (इन्द्र) अर्थ होता है इस तरह असत् शब्द के आठ अर्थ हुए। अति शब्द भी पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. कृष्णपक्ष (वदि) २. कृष्णवर्ण (काला रंग) और ३. शनिग्रह ( शनैश्चर) इस प्रकार असित शब्द के तीन अर्थ समझना ।
मूल :
अस्त्वव्ययमसूयायां पीडा - स्वीकारयोरपि । अहाऽव्ययं प्रशंसायां नियोगे निग्रहेऽसने ॥ १३२॥
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