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नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित -तन्त्री शब्द | १३५
हिन्दी टीका - तन्त्री शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. शिरा (नस, धमनी) और २. युवतीभेद ( युवती स्त्री विशेष) को भी तन्त्री कहते हैं । तन्द्रा शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. निद्रा (नींद) और २. प्रमीला (ऊँघना) । तन्वी शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. कृश शरीर (पतली स्त्री) और २. शालपर्णीमहीरुह ( शालपर्णी नाम का वृक्ष विशेष ) । नपुंसक तपस् शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. लोकान्तर (परलोक) २. धर्म, ३. कृच्छ्रचान्द्रायणादिकव्रत, किन्तु ग्रीष्म ऋतु अर्थ में तप शब्द अदन्त है । और तपन शब्द के अर्थ १. सूर्य और २. ताप ( तड़का - धूप ) होता है ।
मूल :
सूर्यकान्तमण ग्रीष्मे नरकं महीरुहे ।
क्षुद्राग्नि मन्थवृक्षे च भल्लातकतरावपि ।। ७३५ ।। तपस्या व्रतचर्यायां तपस्यः फाल्गुनेऽर्जुने | तपस्वी नारदे मत्स्यविशेषे घृतपर्णके ।। ७३६ ॥
हिन्दी टीका - तपन शब्द के और भी छह अर्थ माने जाते हैं - १. सूर्यकान्तमणि, २. ग्रीष्म (ग्रीष्म ऋतु) ३. नरक, ४ अर्कमहीरुह (आँक का वृक्ष) ५. क्षुद्राग्नि मन्थवृक्ष (वृक्ष विशेष जिसके मन्थन से आग की चिनगारी निकलती है) और ६. भल्लातकतरु ( भल्लातकी - भेलावा नाम का वृक्ष विशेष ) । तपस्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ १. व्रतचर्या (व्रत उपवासादि करना) होता है । तपस्य शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. फाल्गुन (फागुन मास) और २. अर्जुन। तपस्वी शब्द पुल्लिंग है और उसके सात अर्थ होते हैं - १. नारद (नारद ऋषि) २. मत्स्यविशेष ३. घृतपर्णक (घी कुमारि नाम का वृक्ष विशेष) जिसके पत्ते में घृत की तरह गुद्दे होते हैं ।
मूल :
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जैन साध्वी जटामांसी तपाः शिशिरकाले च
अनुकम्प्ये जैनसाधौ तापसेऽथ तपस्विनी । कटुका लोचनीषु च ॥ ७३७ ॥ माघमास - निदाघयोः ।
तमो विधुन्तुदे पापे ध्वान्ते शोके तमो गुणे ।। ७३८ ।।
हिन्दी टीका - तपस्वी शब्द के और भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. अनुकम्प्य (अनुकम्पा - दया करने योग्य) २. जैन साधु (जैन महात्मा) तथा ३ तापस ( मुनि) इस प्रकार कुल मिलाकर तपस्वी शब्द के सात अर्थ जानने चाहिए। तपस्विनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. जैनसाध्वी २. जटामांसी (जटामांसी नाम का प्रसिद्ध औषधि विशेष ) ३. कटुका तथा ४. लोचनी ( लोचनी नाम की प्रसिद्ध औषधि) । पुल्लिंग तपस शब्द के तीन अर्थ होते हैं - १. शिशिरकाल (शिशिर ऋतु सियाला, जाडमहीना ) २. माघमास तथा ३. निदाघ ( उनाला, ग्रीष्म ऋतु) । तमस शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं - १. विधुन्तुद (राहु ) २. पाप, ३. ध्वान्त (अन्धकार) ४. शोक और ५ तमोगुण । इस तरह तमस शब्द के पाँच अर्थ जानना चाहिए ।
मूल :
तमालस्तिलके खड्गे वंशत्वक् कृष्णखदिर
तापिच्छे वरुणद्रुमे । वृक्षभेदेषु कीर्तितः ।। ७३६ ॥
तमाल:
कृष्णखदिरे तिलके वरुण । कालस्कन्धे च निस्त्रिंशे वंशत्वचि तु न स्त्रियाम् ॥ ७४०||
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