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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-धाता शब्द | १७१ मूल : धाता प्रजापतौ विष्णौ मरुद्भेदे भृगोः सुते ।
त्रिष्वसौ धारके रक्षाकरे सदुभिः प्रयुज्यते ।। ६४६ ॥ धातु "भू" प्रभूतौ ग्रावविकृिताविन्द्रियेऽस्थनि ।
श्लेष्मादौ रसरक्तादौ शब्दादौ काञ्चनादिके ॥ ६४७ ।। हिन्दी टीका-पुल्लिग धाता शब्द के चार अर्थ माने गये हैं –१. प्रजापति (ब्रह्मा) २. विष्णु (भगवान विष्णु) ३. मरुद्भेद (मरुद् विशेष) और ४. भृगुसुत (भार्गव शुक्राचार्य) किन्तु ५. धारक (धारण करने वाला) और ६. रक्षाकर (रक्षा करने वाला) अर्थ में यह त्रिलिंग है। धातु शब्द के आठ अर्थ माने गये हैं-१. भू प्रभृति (पृथ्वी वगैरह)२. ग्रावविकृति (पत्थर का विकार-इस्पात लोहा वगैरह) ३. इन्द्रिय (चक्ष-श्रोत्र वगैरह इन्द्रिय) ४. अस्थि (हड्डी) ५. श्लेष्मादि (कफ पित्त वाय) ६. रसरक्तादि (रस रक्त मज्जा वगैरह) ७. शब्दादि (शब्द रूप रस गन्ध स्पर्श) और ८. काञ्चनादिक (सोना, चांदी, पित्तल, कांसा वगैरह)। मूल : महाभूतेषु लोहेषु धात्री स्यादुपमातरि ।
भूमावामलकी वृक्षे जनन्यामपि कीर्तिता ॥ ६४८ ॥ धाना भृष्टयवेभिन्ने धन्याकेऽभिनवेऽङ कुरे।
चूर्ण सक्तुष्वथो धानी स्त्र्याधारे पीलुपादपे ॥ ६४६ ॥ हिन्दी टीका-धातु शब्द के और भी दो अर्थ माने गये हैं-१. महाभूत (पृथ्वी-जल-तेज-वायूआकाश) और २. लोह (लोहा)। धात्री शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. उपमाता (धाय) २. भूमि, ३. आमलकीवृक्ष (आँवला का वृक्ष) और ४. जननी (माता)। धाना शब्द भी स्त्रीलिंग है
और उसके छह अर्थ होते हैं-१. भृष्टयव (भुना हुआ जौ, लावा, ममरा वगैरह) २. भिन्न, ३. धन्याक (धाना-धनियाँ) ४. अभिनव (नूतन-नया) ५. अंकुर तथा ६. चूर्णसक्तु (सतुआ)। धानी शब्द भी स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं- १. आधार और २. पीलुपादप (पीलु नाम का प्रसिद्ध वृक्ष विशेष) । मूल :
धान्यं धनीयके व्रीहौ तिलमाने कुटन्नठे। धाम स्थाने गृहे देहे प्रभावे रश्मि जन्मनोः ॥ ६५० ॥ धामार्गवस्त्वपामार्गे घोषके पीतघोषके।
धारो जलधरासारवर्षणे प्रस्तरान्तरे ॥ ६५१ ॥ हिन्दी टीका-धान्य शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. धनीयक जिन चाहने वाला) २. व्रीहि, ३. तिलमान (चतुस्तिल परिमाण चार तिल भर) और ४. कुटन्नट (कैवर्तीमस्तक -नागरमोथा-जलमोथा) । धाम शब्द नकारान्त नपुंसक है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. स्थान २. गृह. ३. देह. ४ प्रभाव (वर्चस्व) ५. रश्मि (किरण) और ६. जन्म (उत्पत्ति)। धामार्गव पट है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. अपामार्ग (चिरचीरी) २. घोषक (सफेद फूल वालो तरोई-शिमनी ३. पीतघोषक (पीले फूल वाली तरोई-झिमनी) । धार शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं। १. जलधरासारवर्षण (मेघ की मूसलाधार वर्षा) और २. प्रस्तरान्तर (पत्थर विशेष पारस पत्थर वगैरक्षा इस प्रकार धार शब्द के दो अर्थ जानना।
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