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१७८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-नन्दक शब्द २. यावनालशर और ३. हिज्जल वृक्ष (जलबेंत या स्थलबेंत का वृक्ष बेतस वृक्ष) । नन्द शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. नारायण, २. गोप विशेष (गोप) और ३. नृपभेद (नृपविशेष नन्द नाम का राजा) तथा ४. आनन्द (हर्ष) और ५. निधिभेद (निधि विशेष) ६. वेणुभेद (बांस विशेष) । नन्दक शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. विष्णुनिस्त्रिश (भगवान विष्णु का अस्त्र विशेष) और २. हर्षक (आनन्दित होने वाला) तथा ३. कुलपालक (कुलरक्षक)। मूल :
आनन्दे कृष्णजनके नन्दनं शक्रकानने । नन्दनः केशवे शैलप्रभेदे हर्षकारके ॥ ६८८ ॥ पुत्रे भेकेऽथ नन्दन्तः पुत्रे मित्रे महीपतौ।
नन्दा सम्पदि पार्वत्यां तिथिभेदे ननान्दरि ॥ ६८६ ॥ हिन्दी टीका-नन्दक शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. आनन्द (हर्ष) २. कृष्णजनक (भगवान कृष्ण का पिता)। नन्दन शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ - १. शक्रकानन (इन्द्र का प्रसिद्ध नन्दन वन) किन्तु पुल्लिग नन्दन शब्द के पाँच अर्थ माने गये हैं - १. केशव (भगवान् विष्णु) २. शैलप्रभेद (पर्वत विशेष) ३. हर्षकारक (आनन्ददायक) और ४ पुत्र तथा ५. भेक (मेंढक)। नन्दन्त शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. पुत्र, २. मित्र और ३. महीपति (राजा)। नन्दा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१ सम्पद् (धन-दौलत) २. पार्वती (दुर्गा) ३. तिथिभेद (तिथि विशेष प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी, इन तीन तिथियों को नन्दा कहते हैं) और ४. ननान्दा (ननद - पति की बहन) को भी नन्दा कहते हैं। मूल : विष्णौ द्यूताङ्ग आनन्दे नन्दिके नन्दिरस्त्रियाम् ।
नन्दिकालिञ्जरे शक्र क्रीडा स्थाने तिथौस्त्रियाम् ॥ ६६० ॥ नन्दिनी पार्वती गङ्गा रेणुकासु ननान्दरि ।
वशिष्ठ धेनौ नन्दी तु वटे शिव गणान्तरे ।। ६६१ ॥ हिन्दी टीका-नन्दि शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. विष्णु (भगवान् विष्णु) २. धूताङ्ग (जुआ का एक अंग विशेष) ३. आनन्द और ४. नन्दिक (नन्दिकेश्वर)। नन्दिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अथ माने जाते हैं-१. अलिञ्जर (कुण्डा-भांड) २. शक्रकीड़ास्थान (इन्द्र का क्रीड़ा स्थान) ३. तिथि (तिथिविशेष, प्रतिपदा, षष्ठी, एकादशी) । नन्दिनी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. पार्वती. २. गंगा, ३. रेणुका (परशुराम की माता) और ४. ननान्दा (ननदि-पति की बहन) तथा ५. वसिष्ठ धेनु (नन्दिनी नाम की वसिष्ठ की गाय) । नन्दी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं --१. वट (वट वृक्ष) और २. शिव गणान्तर (महादेव का गण विशेष, नन्दी गण)। मूल: शालङ्कायन पुत्रे च गर्दभाण्डद्रुमेऽपि च ।
नन्दिवर्द्धन ईशाने पक्षान्ते मित्र पुत्रयोः ।। ६६२ ॥ नन्द्यावर्तो राजसद्मप्रभेदे तगरद्रुमे । नभश्चरो घने वायौ विद्याधर-विहङ्गयोः ॥ ६६३ ॥
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