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१७६ / नानार्थोदयसागर कोष :हिन्दी टीका सहित-ध्र वा शब्द अर्थ होते हैं-१. स ग विशेष (स्र ब विशेष, ध्र वा नाम का चमस) २. शालपर्णी (सरिवन, गभारी) ३. मूर्वा (मोथा) और ४. गीति प्रभेद (ध्र वा नाम की गीति) इस तरह ध्र वा के चार अर्थ जानना।
साध्वी स्त्रियामथ स्थाणौ गीतांगे ध्र वको मतः । ध्वंसनं स्यादध:पाते विनाशे गमने क्वचित् ॥ ६७६ ॥ ध्वजोऽस्त्री पूर्वादिग्गेहे खट्वांगे चिह्न शेफसोः ।
शौण्डिके वैजयन्त्यां च पताकादण्ड गर्वयोः ।। ६७७ ।। हिन्दी टीका-ध्र वा शब्द का एक और भी अर्थ होता है - १. साध्वी स्त्री (पतिव्रता नारी)। ध्रुवक शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१ स्थाणु और २. गीतांग (गीत का अंग विशेष) ध्वंसन शब्द भी नपुंसक ही माना जाता है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. अधःपात (अधःपतन) २. विनाश (सर्वनाश) और ३. गमन भी कहीं पर ध्वंसन शब्द का अर्थ होता है। ध्वजा शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके आठ अर्थ माने गये हैं- . पूर्वदिग्गेह (पूवरिया घर) २. खट्वांग (चारपाई का अंग) ३. चिन्ह और ४. शेफस् (मूत्रेन्द्रिय) और ५. शौण्डिक, ६. वैजयन्ती, ७. पताका दण्ड और ८. गर्व (घमण्ड) । मूल : ध्वजी स्याद् ब्राह्मणे शैले मयूरे घोटके रथे ।
शोण्डिके भुजगे पुंसि ध्वनिः स्यात् काव्य उत्तमे ॥ ६७८।। मृदंगादिस्वने शब्दे ध्वस्तं नष्टे च्युते त्रिषु ।
नकुलः शंकरे माद्रीतनये बभ्र -पुत्रयोः ॥ ६७६ ।। हिन्दी टीका-ध्वजी शब्द नकारान्त पुल्लिग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं-१. ब्राह्मण २. शैल (पर्वत) ३. मयूर (मोर) ४. घोटक (घोड़ा) ५. रथ, ६. शौण्डिक (तेली सूरी घांची) ७. भुजग (सर्प) । ध्वनि शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. उत्तम काव्य (ध्वनि नाम का उत्तम काव्य) होता है। ध्वनि शब्द के और भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. मृदंगादिस्वन (मृदंग वगैरह वाद्य बाजा का ध्वन्यात्मक शब्द) और २. शब्द (वर्णात्मक या ध्वन्यात्मक शब्द विशेष)। ध्वस्त शब्द विलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं-१. नष्ट (विनष्ट वस्तु) और २. च्युत (पतित गिरा हुआ पदार्थ)। नकुल शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. शंकर (महादेव) २. माद्रीतनय (माद्री का पुत्र-नकुल नाम का प्रसिद्ध चौथा पाण्डव) ३. बभ्र (बभ्र नाम का प्रसिद्ध राजा विशेष) और ४. पुत्र । इस तरह नकूल शब्द के चार अर्थ जानना । मूल : नकुली कुक्कुटी मांसी शङ्खिनी-कुंकुमेषु च ।
हकारे बभ्र भार्यायां कुलहीने त्वसौ त्रिषु ॥ ६८० ॥ नक्तञ्चरो राक्षसे स्यात् गुग्गुलौ चौर घूकयोः ।
अथ सिंहे च शार्दूले कुक्कुटे नखरायुधो ॥ ६८१ ॥ हिन्दो टीका-नकुली शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं--१. कुक्कुटी (मुर्गी) २. मांसी, ३. शङ्खिनी (शंखाहुली नाम का प्रसिद्ध लता विशेष) ४. कुंकुम (सिन्दूर) ५. हकार (हकार
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