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१८२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-नागदन्त शब्द
हिन्दी टोका-नागदन्त शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१ हस्तिदन्त (हाथी का दांत) २. भित्ति संलग्नदारु (खूटी)। नागदन्ती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं-१. वारस्त्री (वारांगना- वेश्या) और २. श्रीहस्तिनी (शाक विशेष जिसका पत्ता हाथी के कान के समान होता है) । नागपुष्प शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पुंनाग (नागकेशर का वृक्ष) २. चम्पक (चम्पाफूल) और ३. नागकेशर (केशर चन्दन)। नागबल शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. हस्तितुल्यबल (हाथी के समान बल वाला) और २. भीमसेन (द्वितीय पाण्डव) । मूल : नागरं मुस्तके शुण्ठ्यां रतिबन्धेऽक्षरान्तरे ।
नागरो नागरंगे स्याद् विदग्धे नगरोद्भवे ॥१०१३।। देवरे नागराजस्तु स्यादनन्ते च वासुकौ ।
नागरी तु विदग्धस्त्री-नागरस्त्री-स्नुहीषु च ॥१०१४॥ हिन्दी टोका-नागर शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. मुस्तक (मोथा नागर मोथा) २. शुण्ठी (सौंठ) ३. रतिबन्ध (रतिकालिक बन्ध आसन विशेष) और ४. अक्षरान्तर (अक्षर विशेष देव नगरी लिपि)। पुल्लिग नागर शब्द के भी चार अर्थ माने जाते हैं - १. नागरंग (नारंगी) २. विदग्ध (चतुर) ३. नगरोद्भव (नगर शहर में उत्पन्न) और ४. देवर (पति का छोटा भाई)। नागराज शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. अनन्त (भगवान् विष्णु) और २. वासुकि (शेषनाग नाम का सर्प विशेष)। नागरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. विदग्ध स्त्री (चतुर स्त्री) २. नागर स्त्री (शिक्षित महिला, पढ़ी लिखी स्त्री) और ३. स्नुही (सेहुण्ड-सेंहुड नाम की लता विशेष)। मूल :
नाटको नर्तके शैले नाटकं रूपकान्तरे । नाडी व्रणान्तरे नाले शिरा-कुहनचर्ययोः ।।१०१५॥ षट्क्षणे गण्डदूर्वायां नाडी जङ घस्तु वायसे ।
नाडीतरङ्गः काकोले हिण्डके रतहिण्डके ॥१०१६॥ हिन्दी टीका-पुल्लिग नाटक शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. नर्तक (नाचने वाला, नटुआ) और २. शैल (पर्वत)। नपुंसक नाटक शब्द का अर्थ–१. रूपकान्तर (रूपक विशेष, दशरूपक नाम का दृश्यकाव्य का एक नाटक नाम का रूपक विशेष)। नाडी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं--१. व्रणान्तर (घाव विशेष) २. नाल (नाल तन्तु) और ३. शिरा (धमनी, नस) और ४. कुहनचर्या (ईर्ष्यालु व्यक्ति का आचरण खराब कार्य) और ५. षट्क्षण (छह पल मिनट) को भी नाड़ी कहते हैं तथा ६. गण्डदूर्वा (दुभी विशेष) को भी । नाडीजंघ शब्द का अर्थ---वायस (कौवा काक) होता है। नाडीतरंग शब्द के तीन अर्थ होते हैं-१. काकोल (जहर और डोम काक) और २. हिण्डक (भटकने वाला) तथा ३. रतहिण्डक (रति क्रीड़ा करने वाला)। मूल : नादः शब्देऽर्द्धन्दुवर्णे ब्रह्मघोषान्तरे स्मृतः ।
नादेयः काशवानीरवृक्षयोः संप्रकीर्तितः ॥१०१७॥ हिन्दी टीका-नाद शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं –१. शब्द (ध्वनि तथा वर्ण) २. अद्धन्दुवर्ण (अर्ध चन्द्र के समान वर्ण विशेष) और ३. ब्रह्म घोषान्तर (शब्द ब्रह्म)। नादेय शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. काश (डाभ) और २. वानीर वृक्ष (बेंत का वृक्ष)।
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