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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित -तरण्ड शब्द | १३७
तथा ३. नौका (नाव) । तरण्ड शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं - १ प्लव (तैरना) और २. कुम्भतुम्बीरम्भादि संचार (कुम्भ, घड़ा, तुम्बी-तुम्मा, और रम्भादि केला के स्तम्भ वगैरह का संचार -- तैरना ) इस तरह तरण्ड शब्द के दो अर्थ जानना ।
मूल :
नौकायां वडिशी सूत्रबद्ध काष्ठादिके स्मृतः ।
आतरेतरपण्यं स्यात् फलभेदे तरम्बुजम् ॥ ७४७ ॥
हिन्दी टीका - तरण्ड शब्द के और भी दो अर्थ होते हैं - १ नौका और २. वडिशी सूत्रबद्ध काष्ठादिक (बंशीका तरेगन ) । तरपण्य शब्द का अर्थ - १. आतर ( करुआरि ) होता है और तरम्बुज शब्द का अर्थ - १ फलभेद (फल विशेष तरबूज ) होता है ।
मूल :
तरलो हारतलयोर्हारमध्यमणौ पुमान् ।
त्रिषु स्याद् भास्वरे मध्य शून्यद्रव्ये चले द्रुते ।। ७४८ ।। षिगेऽथ तरलामद्य यवागू सरघासु च । तरस्वी गरुडेवायौ त्रिषु स्याद्वेगि- शूरयौः ॥ ७४६ ॥
हिन्दी टीका - तरल शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. हार (मुक्ताहार) वगैरह ) २. तल (नीचा भाग) और ३. हारमध्यमणि ( हार का मध्यमणि) किन्तु त्रिलिंग तरल शब्द के चार अर्थ होते हैं - १ भास्वर ( देदीप्यमान ) २. मध्य शून्यद्रव्य ( द्रव्य विशेष, जिसका मध्य भाग खाली रहता है इस प्रकार के द्रव्य विशेष को भी तरल कहते हैं । ) ३. चल ( चंचल) और ४. द्रुत (पिघला हुआ पदार्थ घृत वगैरह को भी तरल कहते हैं । इसी प्रकार त्रिलिंग तरल शब्द का पाँचवाँ अर्थ - ५ . षिङ्ग (हिजड़ा - नपुंसक ) भी होता है। तरला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. मद्य (शराब) २. यवागू (हलवा, लापसी) और ३ सरघा (मधुमक्खी) । तरस्वी शब्द नकारान्त पुंल्लिंग माना माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. गरुड़ ( पक्षो विशेष, विष्णु भगवान का वाहन) और २ वायु (पवन) । किन्तु त्रिलिंग तरस्वी शब्द का अर्थ - १. वेगो (वेगशाली पदार्थ) और २. शुर (वीर, पराक्रमी) होता है । इस प्रकार तरस्वी शब्द के चार अर्थ जानना ।
मूल :
तरिर्दशायां लौकायां वस्त्र - भूषादि पेटके ।
तरी गदा - दशा-द्रोणी - नौका वस्त्रादि पेटके ।। ७५० ॥ तरीष: शोभनाकारे समर्थव्यवसाययोः ।
स्वर्गे सिन्धौ भेलकेऽथ शक्रपुत्र्यामपि स्त्रियाम् ।। ७५१ ।।
हिन्दी टोका - तरि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. दशा ( कपड़े की किनारी पाढ़ि) २. नौका (नाव) और ३. वस्त्रभूषादि पेटक (मञ्जूषा पेटो) । तरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. गदा. २. दशा ( अवस्था - हालत अनेक प्रकार दीप की बत्ती ) ३. द्रोणी ( काष्ठ की - लकड़ी की बनाई हुई छोटी सी नाव, डोंगी) और ४. नौका (नाव) तथा ५ वस्त्रादि पेटक (कपड़े तथा जेबर रखने की पेटो मञ्जूषा ) । तरीष शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं१. शोभनाकार (सुन्दर, दर्शनीय) २. समर्थ, ३. व्यवसाय ( उद्योग धन्धा ) ४. स्वर्ग, ५. सिन्धु (नदी, समुद्र) और ६. भेलक । किन्तु ७. शक्र पुत्री (इन्द्र की कन्या) अर्थ में तरीष शब्द स्त्रीलिंग माना गया है ।
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