________________
१६२ | नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - हन्भू शब्द
हिन्दी टीका - पुल्लिंग हन्भू शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. सहस्रांशु (सूर्य) २. नृपति (राजा) ३. कुलिश (वज्र ) और ४. अन्तक (यमराज) । दृशान शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं१. उपाध्याय २. लोकपाल ३. विरोचन ( अग्नि और चन्द्रमा) ४. आचार्य ५. ब्राह्मण । किन्तु नपुंसक दृशान शब्द का अर्थ ज्योतिष (प्रकाश) होता है । दृषत् शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ होते हैं - १. निष्पेषण शिलापट्ट (पीसने का शिलापट्ट ) और २. पाषाण (शिला) ।
मूल :
हिन्दी टीका दृष्टान्त शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं- १. मरण, २. उदाहरण, और ३. शास्त्र । दृष्टि शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. विलोचन (आँख) २. बुद्धि ३. ग्रहदृष्टि (सूर्यादि ग्रहों की दृष्टि) और ४. दर्शन । देव शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं - १. ब्राह्मणोपाधि (ब्राह्मण का अटक ) २. त्रिदश (देवता) ३. पारद (पाड़ा ) ४. घन (मेघ) ५. कायस्थ - पद्धति ( कायस्थ का शिष्टाचार) और ६. राजा, किन्तु ७ इन्द्रिय (आँख वगैरह इन्द्रिय) अर्थ में देव शब्द नपुंसक माना जाता है। इस तरह कुल मिलाकर देव शब्द के सात अर्थ जानना ।
मूल :
दृष्टान्तः पुंसिमरण उदाहरण - शास्त्रयोः । दृष्टिविलोचने बुद्धौ ग्रहदृष्टौ च दर्शने ॥ ८६५ ॥ देवः स्याद् ब्राह्मणौपाधौ त्रिदशे पारदे घने । कायस्थपद्धतौ राज्ञि देवमाख्यातमिन्द्रिये ॥ ६६ ॥
-
Jain Education International
देवखातं गुहायां स्याद् अकृत्रिम जलाशये ।
देवालये देवगृहं ज्योतिबिम्बेडर्क चन्द्रयोः ॥ ८६७ ॥ चैत्यवृक्षे देवतरुर्मन्दारे हरिचन्दने । सन्ताने पारिजाते च कल्पवृक्ष महीरुहे ॥ ६८ ॥
हिन्दी टीका - देवखात शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. गुहा (गुफा) और २. अकृत्रिम जलाशय (स्वाभाविक जलाशय - तालाब वगैरह ) । देवगृह शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. देवालय (देव मन्दिर) और २. अर्कज्योतिबिम्ब ( सूर्य का ज्योतिबिम्ब) तथा ३. चन्द्रज्योतिबिम्ब (चन्द्र का ज्योतिबिम्ब ) । देवतरु शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं - १. चैत्यवृक्ष (उद्द ेश्य पादप, यज्ञ स्थान वृक्ष) २. मन्दार ( सिंहरहाल फूल का वृक्ष ) ३. हरिचन्दन ( नाग केशर) ४. सन्तान ( कल्पवृक्ष विशेष ) ५. पारिजात ( कल्पवृक्ष विशेष) और ६. कल्पवृक्ष महीरुह ( कल्प वृक्ष) इस तरह देवतरु शब्द के छह अर्थ जानने चाहिये ।
मूल :
देवताडोऽनले
राहौ घोषे जीमूतकद्रुमे ।
देवदेवः पद्मनाभे महादेवे जिनेश्वरे ॥ ८६६ ॥
देवनं कमले द्यूते व्यवहारे गतौ तौ । लीलोद्याने जिगीषायां क्रीडायां स्तुति-शोकयोः ॥ ६०० ॥
हिन्दी टीका - देवताड शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - १. अनल (अग्नि) २. राहु, ३. घोष (झोंपड़ी) ४. जीमूतकद्र ुम ( देवताड़ वृक्ष विशेष ) । देवदेव शब्द पुल्लिंग है और उसके
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org