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मूल :
दीर्घपत्रो विष्णुकन्दे कुपीलु हरिदर्भयोः । ताले राजपलाण्डौ च स्यादथो दीर्घपत्रकः ।। ८७५ ।। एरण्डे रक्तलशुने करवीरे च हिज्जले । जलजात मधूके च लशुने वेतसे पुमान् ॥
८७६ ॥ हिन्दी टीका – दीर्घपत्र शब्द भी पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं -- - १. विष्णुकन्द (कन्द विशेष) २. कुलु (कुत्सित पीलु, खराब पीलु नाम का वृक्ष विशेष) और ३. हरिदर्भ (दर्भ विशेष ) ४. ताल (ताल वृक्ष) तथा ५. राजपलाण्डु ( पलाण्डू विशेष बड़ी डुंगरी) । दीर्घपत्रक शब्द भी पुल्लिंग है और उसके सात अर्थ माने गये हैं - १. एरण्ड (अण्डी का वृक्ष) २. रक्तलशुन (लाल लहसुन ) ३. करवीर, ४. हिज्जल (स्थलबेंत, जलबेंत ) ५. जलजात मधूक (महुआ) और ६. लशुन (लहसन) तथा ७. वेतस (बेंत ) इस तरह दीर्घपत्रक शब्द के सात अर्थ जानना ।
मूल :
नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - दीर्घपत्र शब्द | १५ε
दीर्घायुः शाल्मलीवृक्षे वायसे जीवकद्रुमे । मार्कण्डेयमुनौ पुंसि चिर जीवनि तु त्रिषु ॥ ८७७ ॥ दीक्षा स्याद् यजने पूजा व्रतसंग्रहयोरपि । श्रीमद्गुरुमुखात् स्वेष्टदेवमन्त्रग्रहे स्त्रियाम् ॥
८७८ ॥
हिन्दी टीका - पुल्लिंग दीर्घायु शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. शाल्मली वृक्ष (सेमर का पेड़) २. वायस (कौवा) ३. जीवकद्र ुम ( बन्धूक पुष्प का वृक्ष) और ४. मार्कण्डेय मुनि, किन्तु ५. चिरजीवी अर्थ में दीर्घायुः शब्द त्रिलिंग माना जाता है । दीक्षा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. यजन (यज्ञ करना) २. पूजा (पूजन करना) ३. व्रत संग्रह ( जपतप ध्यान वगैरह ) और ४. श्रीमद्गुरुमुखात्स्वेष्ट देव मन्त्रग्रह ( गुरुमुख से इष्टदेव का मन्त्र ग्रहण करना, गुरु से मन्त्र लेना) ।
मूल :
दुःखं व्यथायां संसारे दुःस्थो दुर्गतमूर्खयोः । दुकूलं पट्टवसने सूक्ष्मवस्त्रेऽशुके स्मृतम् ॥ ८७६ । दुग्धं क्षीरे दोहनेऽपि कृतदोहे प्रपूरिते । दुग्धा दुग्धतालीयं दुग्धाग्र-क्षीरफेनयोः ॥ ८८० ॥
हिन्दी टोका - दुःख शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. व्यथा ( पीड़ा, कष्ट, क्लेश) और २. संसार (दुनियाँ) । दुःस्थ शब्द के भी दो अर्थ माने गये हैं - १. दुर्गत (दुःखी, दीन) और २. मूर्ख । दुकूल शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. पट्टवसन (रेशमी कपड़ा) २. सूक्ष्मवस्त्र (मलमल झोना कपड़ा) और ३ अंशुक (दोपट्टा, अञ्चल, आँचड़) । दुग्ध शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ माने गये हैं - १. क्षोर (दूध) २. दोहन (दुहना ) ३. कृतदोह (किया हुआ दोहन, दूहा हुआ, दोहन किया हुआ) और ४ प्रपूरित (पूर्ण किया हुआ) तथा ५ दुग्धाम्र । दुग्धतालीय शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. दुग्धाग्र (मलाई) और २. फेन ।
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दुन्दुभिर्वरुणे रक्षोभेद - दैत्यविशेषयोः । भेरी-गरलयोरक्ष बिन्दुत्रिकद्वये ।। ८८१ ॥
अक्षे
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