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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित-तण्डुल शब्द | १३३ (भगवान् शङ्कर का गण विशेष, प्रमथादि गणों में एक गण का नाम तण्डु समझना चाहिये)। इस प्रकार तण्डक शब्द के कुल मिलाकर आठ अर्थ जानना और तण्डु शब्द का एक अथ जानना । मूल : तण्डुलो धान्यसारांशे तण्डुलीय विडङ्गयोः ।
तण्डुलौघो वेष्टवंशे धान्यसारांशसंचये ॥ ७२३ ॥ ततं वीणादिके वाद्ये व्याप्त विस्तृतयोस्त्रिषु ।
मारुते पुंसि तत्वं तु याथार्थ्ये परमात्मनि ॥ ७२४ ॥ हिन्दी टीका-तण्डुल शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. धान्य सारांश (धान का सार भाग) एवं २. तण्डुलीय (तण्डुल सम्बन्धी कण वगैरह) और ३. विडङ्ग (डांगर) को भी तण्डुल शब्द से व्यवहार किया जाता है । तण्डुलोघ शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. वेष्टवंश (वेष्टित बाँस) और २. धान्य सारांश संचय (धान्यसार-चावलों का समुदाय-ढेर) इस तरह तण्डुलौघ शब्द के दो अर्थ जानना । तत शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ-१. वीणादिक वाद्य (वीणा बाजा) होता है किन्तु २. व्याप्त और ३. विस्तृत इन दोनों अर्थों में तत शब्द त्रिलिंग माना जाता है परन्तु मारुत (पवन या पवनसुत हनुमान) अर्थ में तो तत शब्द पुल्लिग ही जानना चाहिये। तत्त्व शब्द नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. याथार्थ्य (यथार्थता, वास्तविक सच्चाई) और २. परमात्मा (परमब्रह्म परमेश्वर) इस तरह तत्त्व शब्द के दो अर्थ जानना। मूल : स्वरूपे वाद्यभेदेऽपि नृत्ये वस्तुनि चेतसि ।
तनुस्त्वचि शरीरे च वनितायामपि स्त्रियाम् ।। ७२५ ॥ त्रिलिङ्गस्तु अल्प-विरल-कृशेषु कथितो बुधैः ।
तनूरुहोऽस्त्री गरुति रोम्णि पुत्रे तु पुंस्यसौ ॥ ७२६ ॥ हिन्दी टीका-तत्व शब्द के और भी पांच अर्थ माने जाते हैं-१. स्वरूप (निजरूप) २. वाद्यभेद (वाद्य विशेष) ३. नृत्य (नाच) ४. वस्तु (वस्तु मात्र) तथा ५. चेतस् (चित्त) इस तरह तत्त्व शब्द के कुल मिलाकर सात अर्थ जानने चाहिए। तनु शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं१. त्वचा, २. शरीर और ३. वनिता (स्त्री)। किन्तु त्रिलिंग तनु शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिए१. अल्प (थोड़ा) २. विरल और ३. कृश (पतला)। तनुरुह शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. गरुत् (पक्ष, पांख) और २. रोग, किन्तु ३. पुत्र (लड़का) अर्थ में तनुरुह शब्द पुल्लिग ही माना जाता है इस प्रकार तनुरुह शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिए । मूल : तन्तुः सूत्रे पुमान् ग्राहे संततावपि कीर्तितः ।
तन्तुभः सर्षपे वत्से तन्तुवायः कुविन्दके ॥ ७२७ ॥ तन्त्रेऽपि तन्तुवायस्तु तन्त्रवायोर्णनाभयोः ।
तन्तुशाला गर्तिकायां स्यूते तु तन्तुसन्ततम् ॥ ७२८ ॥ हिन्दी टीका-तन्तु शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. सूत्र (धागा) २. ग्राह (मकर) और ३. संतति (सन्तान) । तन्तुभ शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. सर्षप (सरसों) २. वत्स
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