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१३२ | नानार्थोदयसागर कोष हिन्दी टीका सहित - डोर शब्द
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मूल :
हस्तादिबन्धने सूत्रे डोरं डोरकमित्यपि । ढक्को देशविशेषे स्याद् ढक्का विजयमर्दले ।। ७१७ ।। ढालं तु फलके ढाली त्रिलिंगो ढालसंयुते । दुण्ढिगणेशे ढोलस्तु स्वनामख्यातवाद्यके ॥७१८ ॥
हिन्दी टीका - डोर और डोरक शब्द नपुंसक है और उन दोनों का अर्थ - हस्तादि बन्धन सूत्र ( हाथ वगैरह को बाँधने वाला सूत-धागा) होता है जिसको डोरा भी कहते हैं । ढक्क शब्द पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. देशविशेष (ढाका, जो कि अभी बंगला देश की राजधानी है) । ढक्का शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ - १. विजयमर्दल (विजय का डंका ) होता है । ढाल शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ – १. फलक (ढाल फरि) होता है । ढाली शब्द त्रिलिंग है और उसका अर्थ - १. ढालसंयुत (ढाल से युक्त) होता है । दुण्ढि शब्द का अर्थ – १. गणेश (गणपति) होता है । ढोल शब्द का अर्थ - १. स्वनामख्यात वाद्यक ( ढोल शब्द से प्रसिद्ध बाजा विशेष) होता है ।
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मूल :
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तगरः पुष्पतरु भिन्मदनद्रुमयोः स्मृतः ।
तटं नपुंसकं क्षेत्रे तीरे तु स्यादु त्रिलिंगकः ॥ ७१६॥ पद्माकरे तडागोऽस्त्री यन्त्रकूटक इष्यते । उच्चैः करिकराक्षेपे तडाघातं विदुर्बुधाः ॥ ७२० ॥
हिन्दी टीका - तगर शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. पुष्पतरुभिद् (फूल का वृक्ष विशेष) और २. मदनद्र ुम ( धत्तूर का वृक्ष ) । तट शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ - १. क्षेत्र होता है किन्तु तीर अर्थ में तट शब्द त्रिलिंग माना जाता है । पुल्लिंग तडाग शब्द का अर्थ - १. पद्माकर ( तालाब विशेष ) होता है, किन्तु २. यन्त्र कूटक अर्थ में तडाग शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक माना जाता है । तडाघात शब्द भी पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. उच्चः करिकराक्षेप ( हाथी के शुण्ड- सूंड़ का ऊपर उठाना होता है ।
मूल :
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तडिद् विद्युल्लतायां स्यात् तडित्वान् मुस्तकेऽम्बुदे । तण्डकस्तु तरुस्कन्धे समास प्रायवाचि च ।। ७२१ ।। मायायां बहुले फेने खञ्जने गृहदारुण ।
अस्त्रियां तु परिष्कारे तण्डुः शिवगणान्तरे ॥ ७२२ ॥
हिन्दी टीका -- तडित् शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ - १. विद्युल्लता (बिजली) होता है । तडित्वान् शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. मुस्तक (मोथा) और २ अम्बुद (बादल, मेघ) इस तरह तडित् शब्द का एक और तडित्वान् शब्द के दो अर्थ जानने चाहिये । तण्डक शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी दो अर्थ माने जाते हैं - १. तरुस्कन्ध ( वृक्ष का मध्यम भाग) और २. समास प्रायवाची । इसी प्रकार पुल्लिंग तण्डक शब्द के और भी पाँच अर्थ होते हैं - १. माया, २. बहुल (अधिक) ३. फेन, ४. खञ्जन और ५. गृह दारु ( घर का धरनि) किन्तु ६ परिष्कार (परिष्करण) अर्थ में तण्डक शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक माना जाता है । तण्डु शब्द पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. शिवगणान्तर
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