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नानार्थोदय सागर कोष: हिन्दी टोका सहित - चित्राङ्ग शब्द | १११
३. माया, और ४. छन्दो विशेष (चित्रा नाम का छन्द) एवं ५. कृष्ण सखी (चित्रा नाम की कृष्ण की सखी - योगमाया) और ६. गवादनी (लता औषधि विशेष) और ७ ताराभेद (तारा विशेष, चित्रा नाम का नक्षत्र) को भी चित्रा शब्द से व्यवहार किया जाता है ।
मूल :
चित्राङ्गो भुजगे रक्तचित्रके चित्रद्रुमे । हिंगुले हरिताse चित्रापूपश्चरुव्रणे ।। ५६६ ॥ हृदयाला ज्ञानमये चिद्रूपः स्फूर्तिमत्यपि । चित्रिणी स्त्रीविशेषे स्यात् चितावेश्यान्तरे स्मृता ॥ ६०० ॥
हिन्दी टीका - चित्राङ्ग शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. भुजग (सर्प) २. रक्तचित्रक (वृक्ष विशेष ) ३. चित्रकद्रम (एरण्ड रेड़ अन्डी का वृक्ष ) ४. हिंगुल ( हिंग) और ५. हरिताल ( हरताल नाम का औषध विशेष ) । चित्रापूप शब्द पुल्लिंग है और उसका अर्थ चरुव्रण (चरु विशेष ) होता है । चिप शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. हृदयालु ( दयालु) २. ज्ञानमय (तत्त्वज्ञानी) और ३. स्फूर्तिमान प्रतिभाशाली । चित्रिणी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ - १. स्त्री विशेष (चित्रिणी नाम की स्त्री जाति विशेष - ( पद्मिनी चित्रिणी हस्तिनी और शङ्खिनी-इन चार प्रकार की स्त्रियों में दूसरी स्त्री को चित्रिणी कहते हैं) । चिन्ता शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ - १. वेश्यान्तर ( वेश्या विशेष ) है ।
मूल :
चिन्तामणि : स्पर्शमणौ बुद्धे मण्यन्तरे विधौ । चिपिटोधान्यचमसे दीर्घसूत्रे चिरक्रियः ॥ ६०१ ॥ चिरजीवी पुमान् विष्णौ मार्कण्डेये हनूमति । व्यासे परशुरामे च कृपाचार्ये विभीषणे ।। ६०२ ।।
हिन्दी टीका - चिन्तामणि शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं - १. स्पर्शमणि ( पारसमणि ) २ बुद्ध (भगवान बुद्ध) ३. मण्यन्तर (मणि विशेष) और ४. विधि ( भाग्य विधाता ) । चिपिट शब्द पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. धान्य चमस (पौंहा, चिवड़ा) है और चिरक्रिय शब्द भी पुल्लिंग है और उसका अर्थ - १. दीर्घसूत्र (आलसी) होता है क्योंकि चिरक्रिय शब्द का यौगिक अर्थ - चिर - विलम्ब से क्रिया - कार्य करने वाला होता । चिरजीवी शब्द पुल्लिंग है और उसके सात अर्थ होते हैं -- १. विष्णु (भगवान् विष्णु) २. मार्कण्डेय (मार्कण्डेय मुनि) ३ हनुमान, ४. व्यास, ५. परशुराम ६. कृपाचार्य और ७. विभीषण । इस प्रकार चिरजीवी शब्द के सात अर्थ जानना चाहिये । अश्वत्थाम्निबलौ काके शाल्मलौ जीवकद्रुमे ।
मूल :
एष्वर्थेषु चिरञ्जीवी त्रिषु स्यात् चिरजीविनि ॥ ६०३ ॥ प्रसह्य चौरे चिल्लाभश्चिल्ल आतायिपक्षिणि । चिल्लीलो
झिल्लिकायामोष्ठाधाश्चिबुकंमतम् ॥६०४॥
हिन्दी टीका - चिरंजीवी शब्द के पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. अश्वत्थामा, २. बलि ( राजा वलि) ३ काक, ४. शाल्मलि (सेमर का वृक्ष) और ५. जीवकद्र ुम ( बन्धूक पुष्प विजयसार) इन पाँच अर्थों में चिरंजीवी शब्द का प्रयोग होता है, किन्तु चिरजीविनि - ( अधिक दिन जीने वाला) इस अर्थ में
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