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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-ज्वाल शब्द | १२६ (प्रकाशमान्) और २. दीप्ति (प्रकाश) । ज्वाल शब्द भी पुल्लिग है और उसका अर्थ--१. वैश्वानराचिष् (आग की ज्वाला) होता है । इस तरह ज्वाल शब्द का एक अर्थ जानना।। मूल : दीप्तियुक्त ऽथ दग्धान्ने ज्वाला वह्नचिषि स्त्रियाम् ।
झम्प: सम्पातपतने लम्फे झम्पी तु मर्कटे ॥ ७०० ॥ शैलावतीर्णसलिल - प्रवाहे झरं निर्झरौ।
झर्झरः स्यात् कलियुगे झल्लीवाद्ये नदान्तरे ॥ ७०१ ॥ हिन्दी टोका-ज्वाल शब्द का एक और भी अर्थ माना जाता है-१. दीप्तियुक्त (प्रकाशमान)। ज्वाला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. दग्धान्न (जला हुआ अनाज) और २. बह्न चिष् (आग की ज्वाला) । झम्प शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. सम्पातपतन (जलधारा का पतन-मूसलाधार वर्षा होना) और २. लम्फ । झम्पी शब्द भी पुल्लिग माना जाता है और उसका अर्थ-१ मर्कट (बन्दर) होता है । झर और निर्झर शब्द का अर्थ शैलावतीर्ण सलिल प्रवाह (पर्वत पर से जल की धारा गिरना) होता है । झर्झर पुल्लिग है और तीन अर्थ माने जाते हैं-१. कलियुग, २. झल्ली वाद्य (झाल नाम का वाद्य विशेष) और ३. नदान्तर (नद झील विशेष) इस प्रकार झर्झर शब्द के तीन अर्थ जानना। मूल : झल्लकं कांस्यरचित-करतालक उच्यते ।
झल्लरी झल्लकी वाद्ये वालचक्र-हुडुक्कयोः ॥ ७०२ ॥ शुद्ध क्लेदेऽथ झल्लोलस्त' लासक ईरितः ।
झषो वैसारिणेतापे मीनराशौ च कानने ॥ ७०३ ॥ हिन्दी टोका-झल्लक शब्द नपुंसक पुल्लिग है और उसका अर्थ-१ कांस्यरचित करतालक (झाल) होता है । झल्लरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. झल्लकी वाद्य (झाल) २. वालचक्र (वाल समूह) ३. हुडुक्क और ४. शुद्ध और ५. क्लेद (पसीना) । झल्लोल शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ- १. तलासक होता है। झष शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. वैसारिण (मछली विशेष) २. ताप, ३. मीन राशि ४. कानन (जंगल)। इस तरह झल्लक शब्द का एक और झल्लरी शब्द के पांच एवं झल्लोल शब्द का एक और झष शब्द के चार अर्थ समझना। मूल: झाटो निकुञ्ज कान्तारे व्रणादीनां च मार्जने ।
दग्धेष्टका झामकं स्यात् त' शाणे तु झामरः ॥ ७०४ ॥ झिल्ली स्यात् झिल्लिकाकीटे वामुद्वर्तनेशुके।
स्थाली संलग्नदग्धान्ने स्यादातपरुचावपि ।। ७०५ ॥ हिन्दी टोका-झाट शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं--१. निकुञ्ज (झाड़ी) २. कान्तार (वन) और ३. व्रणादीनां मार्जन (घाव वगैरह व्रणों का मार्जन साफ करना)। झामक शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ-दग्धेष्टका (जला हुआ ईंटा) होता है। झामर शब्द पुल्लिग है और उसका
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