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१२० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-जम्बूक शब्द है। जपा शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१. ओड्रपुष्प (बन्धूक फूल दोपहरि या फूल) है । जम्बाल शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं -१. शैवाल (लीलू-शिमार) २. पङ्क (कीचड़) और ३. मेध्य (केतक वृक्षा--केवड़ा)। जम्बीर शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. मरुबक (मयनफल नाम का वृक्ष विशेष जिसको मदनवृक्ष भी कहते हैं) और २ अर्जक (श्वेत पर्णास, बबई) ३. जम्भ (निम्बू-नेबी) और ४. सितार्जक (सफेद बबई) । इस प्रकार जम्बीर शब्द के चार अर्थ जानना चाहिए। मूल : जम्बूको वरुणे नीचे शृगाले पादपान्तरे ।
जम्बूद्वीपो द्वीपभेदे जम्बूर्जम्बुफलद्रुमे ॥ ६५० ॥ जम्भोंऽशे भक्षणे दन्ते जम्बीरे हनुतूणयोः ।
दैत्यभेदेऽथ जम्भारिर्वह्नौ वज्र पुरन्दरे ॥ ६५१ ॥ हिन्दी टीका -जम्बूक शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -१. वरुण २. नीच (अधम) ३. शृगाल (सियार गीदड़) और ४. पादपान्तर (वृक्ष विशेष - जामुन का वृक्ष)। जम्बूद्वीप भी पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. द्वीपभेद (द्वीप विशेष-एशिया द्वीप)। जम्बू शब्द का अर्थ-१. जम्बुफलद्रुम (जामुन का वृक्ष) है । जम्भ शब्द भी पुल्लिग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं—१. अंश (भाग) २.भक्षण ३. दन्त (दांत) ४. जम्बीर (निम्बू) ५. हनु (दाढ़ी) ६ तूण (तरकस म्यान) और ७. दैत्यभेद (दैत्य विशेष)। जम्भारि शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. वन्हि (अग्नि-आग) २. वज्र (कुलिश-वज्र) और ३. पुरन्दर (इन्द्र) । इस तरह जम्भारि शब्द के तीन अर्थ जानने चाहिए। मूल :
जयोऽग्निमन्थे विजये युधिष्ठिर-जयन्तयोः ।
इक्ष्वाकुवंश्यनृपतौ श्रीनारायणपार्षदे ।। ६५२॥ हिन्दी टोका-जय शब्द के छह अर्थ माने जाते हैं- १. अग्निमन्थ (आग का मन्थन) २. विजय, ३. युधिष्ठिर, ४. जयन्त (इन्द्र का पुत्र) ५. इक्ष्वाकुवंश्यनृपति (सूर्यवंशी राजा रामचन्द्र वगैरह राजा) और ६ श्रीनारायण पार्षद (विष्णु भगवान का पार्षद--पर्षद सभा में रहने वाला)। मूल : जयन्त: शंकरे चन्द्रे पाकशासनि-भीमयोः ।
जयन्ती पार्वती-देव्यामिन्द्रपुत्री पताकयोः ॥ ६५३ ॥ नादेयीपादपे योगविशेषेऽपि प्रकीर्तिता।
जयपत्रं विवादाप्तजयबोधक लेखने ॥ ६५४ ॥ हिन्दी टीका-जयन्त शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१ शंकर (भगवान शिव) २. चन्द्र (चन्द्रमा) ३. पाकशासनि (इन्द्र का पुत्र-जयन्त) और ४. भीम (भीमसेन)। जयन्ती शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. पार्वतीदेवी (दुर्गा भवानी) २. इन्द्रपुत्री (इन्द्र की लड़की जयन्ती) और ३. पताका (ध्वज) एवं ४. नादेयीपादप (जलबेंत) और ५ योगविशेष (समाधि विशेष) को भी जयन्ती कहते हैं । जयपत्र शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ-१. विवादाप्त जयबोधक लेखन विवाद स्थल में विजयी व्यक्ति के लिए आप्त प्रामाणिक व्यक्ति का जयबोधक लेख) है । इस प्रकार जयपत्र शब्द का अर्थ विजय सूचक पत्र विशेष समझना ।
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