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८८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दो टीका सहित-गजा शब्द . मूल : गजा दुरालभा प्रोक्ता-गान्धारः स्वरदेशयोः ।।
गालोडित स्त्रिषून्मत्त मूर्ख रोगार्तयोः स्मृतः ।। ४७१ ॥ हिन्दी टोका-गजा शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-दुरालभा (जवासा, यवासा, धन्वयास) होता है । गान्धार शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं- १. स्वर (स्वर विशेष सा रे ग म प ध नि) में एक स्वर नाम जैसे कि कहा भी (निषादर्षभ-गान्धार घड्ज मध्यम-दैवताः) इत्यादि और २. देश (देश विशेष को भी गान्धार शब्द से व्यवहार होता है। पजाब को भी गान्धार कहा गया है, (गान्धार देश की होने से ही धृतराष्ट्र-पत्नी गान्धारी कहो जाती है)। गालोडित शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है और उसके तोन अर्थ होते-१. उन्मत्त (पागल) २. मूर्ख (अनपढ़) ३. रोगात (रोग पीड़ित) ये तीन अर्थ समझना। मूल : गिरिः पारददोषे स्यात् पर्वते गेण्डुके पुमान् ।
सन्न्यासिपद्धतौ चक्षुरोग भेदे स्त्रियान्त्वसौ ॥ ४७२ ॥ हिन्दी टोका-गिरि शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. पारद दोष (पाड़ा का दोष विशेष) २. पर्वत (पहाड़) ३. गेण्डुक और ४. संन्यासि पद्धति (सन्यासियों का आचार-विचार, वेषभूषा प्रभृति शिष्टाचार) किन्तु ५. चक्षु रोग भेद (आँख का रोग विशेष) अर्थ में तो गिरि शब्द स्त्रीलिंग माना गया है इस प्रकार गिरि शब्द के पाँच अर्थ जानना । मूल :
गिरिजं गैरिके लोहे शिलाजतुनि शैलजे ।
अभ्रके गौर शाकेऽथ गिरिजा पार्वती स्मृता ॥ ४७३ ।। हिन्दी टोका-गिरिज शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. गैरिक (गेरू रंग) २. लोह (लोहा) ३. शिलाजतु (शिलाजीत) ४. शैलज (पर्वत से उत्पन्न पदार्थ) ५ अभ्रक (अबरख) और ६. गौर शाक (शाक विशेष) इस प्रकार गिरिज शब्द के कुल छह अर्थ जानना। गिरिजा शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-पार्वती (गौरी) समझना चाहिये। इसी तरह पर्वतं नदी शिला वगैरह को भी गिरिजा कहते हैं। मूल: गिरीशः शङ्करे जीवे हिमालय गिरावपि ।
गिरिसारः पुमान् रगे लोहे मलयपर्वते ॥ ४७४ ।। हिन्दी टोका-गिरीश शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. शङ्कर, २. जीव (बृहस्पति) और ३. हिमालय गिरि (हिमालय पहाड़)। गिरिसार शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके भी तीन ही अर्थ माने जाते हैं -१. रंग (रंग विशेष) २. लोह (लोहा) और ३. मलय पर्वत (मलयाचल पहाड़) इस प्रकार गिरीश-गिरिसार के तीन-तीन अर्थ समझना चाहिये । मूल : गीष्पतिः पण्डिते जीवे गुच्छः स्तम्बकलापयोः ।
द्वात्रिशद्यष्टिकेहारे मुक्ताहारे सुमोच्चये ॥ ४७५ ॥ हिन्दी टीका-गीष्पति शब्द पुल्लिग माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. पण्डित (विद्वान्) और २. जीव (बृहस्पति) । गुच्छ शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. स्तम्ब (गुच्छा) २. कलाप (समुदाय) ३. द्वात्रिंशद्यष्टिकहार (बत्तीस लड़ी का हार) ४. मुक्ताहार (मोती का हार) और ५. सुमोच्चय (फूलों का गुच्छा-समूह) ।
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