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१०० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-घघरिका शब्द
हिन्दी टोका-घर्षरिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं-१. क्षुद्रघण्टिका (क्षुद्र घण्टी, धुंघरू) और २. भृष्टधान्य (भुना हुआ धान्य-चना वगैरह) एवं ३. नदी विशेष (घर्घरी नाम की नदी) ४. वादित्रदण्ड (बाजा-ढोल वगैरह बाजा को बजाने का दण्ड) ५. वाद्यप्रभेद (बाजा विशेष) को भी घरिका कहते हैं । धर्म शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. स्वेदाम्भस् (पसीना) २. ग्रीष्म (उनाला, गर्मी) ३. आतप (तड़का-धूप) और ४. ऊष्मा (गर्मी) । घर्षणाल शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ १. शिलापुत्र (कठपुतली) है । घर्षण शब्द का अर्थ १. संघर्ष (घिसना) होता है। मूल : घातोऽङ्कपूरणे काण्डे प्रहारे प्रतिघातने ।
घुणः काष्ठकृमौ घाति: प्रहारे पक्षिबन्धने ।। ५३७ ॥ घुघुरो यमकीटेऽथ मृत्किरायां घुघुरी।
घुसृणं कुकुमे क्लीवं घुष्टन्तु त्रिषु शब्दिते ।। ५३८ ।। हिन्दी ट'का-घात शब्द पूल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. अपरण (संख्या को पूर्ण करना) २. काण्डे (बाण) ३. प्रहार (आघात) ४. प्रतिघातन (प्रतिघात करना) । घुण शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. काष्ठकृमि (लकड़ी का कीड़ा विशेष) को घुण (घून) कहते हैं। घाति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं १. प्रहार और २. पक्षिबन्धन (पक्षी को बाँधने-फंसाने का साधन) । घुघुर शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ - १. यमकीट (घुड़घूड़ा) होता है। घुघुरी शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१. मृत् किरा (मिट्टी को बिखेरने वाला कीड़ा विशेष, भुरभुरी पारने वाला गुह कीड़ा को घुघुरी कहते हैं)। घुसृण शब्द नपुंसक है और उसका अर्थ-कुकुम (सिन्दूर) होता है। घुष्ट शब्द त्रिलिंग है और उसका अर्थ-शब्दित (शब्द युक्त) होता है। इस तरह घात शब्द के चार और घुण शब्द का एक एवं घाति शब्द के दो और घुघुर शब्द एक तथा घुघुरी शब्द का भी एक ही अर्थ जानना चाहिये। मूल : घूकारिर्वायसे घूक उलूके च प्रयुज्यते ।
घृणा स्त्रियां जुगुप्सायां कारुण्येऽथधृणिः पुमान् ॥ ५३६ ॥ भास्करे किरणे नीरे घृतमाज्ये नपुंसकम् ।
त्रिषु स्यात् सेचके दीप्ते घृतपूरस्तु घातिके ॥ ५४० ॥ हिन्दी टीका-घूकारि शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं -१. वायस (काक, कौवा) २. घूक (उल्लू) और ३. उलूक (उल्लू पक्षी) के लिए भी घूकारि शब्द का प्रयोग होता है । घृणा शब्द स्त्रीलिंग है और उसका अर्थ-१. जुगुप्सा (निन्दा) होता है। घृणि शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ-१. कारुण्य (दया कृपा) होता है । घृत शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं-१. भास्कर (सूर्य) २. किरण ३. नीर (जल, पानी) ४. आज्य (घी) इन चारों अर्थों में घृत शब्द का प्रयोग होता है उनमें घी अर्थ में नपुंसक समझना । किन्तु त्रिलिंग घृत शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. सेचक (सींचने वाला) और २. दीप्त (प्रदीप्त) । घृतपूर शब्द का-१. घार्तिक (घृत की धारा) होता है ।
घोटक: पुंसि तुरगे तुरंगी पादपे स्त्रियाम् । घोण्टा गुवाकवृक्षस्याद् घस्तिकोलितरावणि ।। ५४१ ॥
मूल :
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