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२ । नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - गोत्र शब्द
को भी गोकर्ण कहते हैं । गोकुल शब्द नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं - १. गोसमूह ( गाय का झुण्ड समुदाय) २. गोस्थान ( गोष्ठ ) और ३ नन्द संस्थिति (नन्द राजा का निवास स्थान ब्रजभूमि) । गोचरी शब्द स्त्रोलिंग है और उसके दो अथ होते हैं - १. जैन श्रमण भिक्षा ( जैन साधुओं की भिक्षा) और २. गोचरक्षिति ( गोचर भूमि ) । गोत्र शब्द नपुंसक है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं१. कुल (वंश) २. धन (सम्पत्ति) ३. छत्र (छाता) ४. संघ, ५. वर्त्म ( रास्ता, मार्ग) और ६. कानन ( वनजंगल) इस तरह गोकुल के तीन और गोचरी के दो एवं गोत्र शब्द के छह अथं जानना । संभावनीयबोधेऽपि वृद्धौ क्षेत्राभिधानयोः ।
मूल :
गोत्र : शैले स्त्रियामेषा - पृथिवी-गो समूहयोः ॥ ४६२ ॥ गोधास्त्रियां निहाकाऽऽख्य जन्तौज्याघातवारणे । गोधूमो नागरंगेऽपि भेदे भेषजसस्ययोः ।। ४६३ ।।
हिन्दी टीका - नपुंसक गोत्र शब्द के और भी चार अर्थ माने जाते हैं--१ संभावनीय बोध (भावी ज्ञान बोध) २. वृद्धि, ३. क्षेत्र और ४. अभिधान (नाम को भी गोत्र कहते हैं) । पुल्लिंग गोत्र शब्द का शैल (पहाड़) अर्थ होता है और स्त्रीलिंग गोत्रा शब्द के दो अर्थ होते हैं - पृथिवी और २. गो-समूह ( गो समुदाय) क्योंकि समूह अथ में भी गो शब्द से त्रल् प्रत्यय का विधान किया गया है । गोधा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. निहाकाऽख्यजन्तु - ( गोह ) और २. ज्याघातावारण (धनुष प्रत्यंचा के आघात का निवारण करने वाला) । गोधूम शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. नागरंग भेद (नारंगी का रंग विशेष को भी गोधूम कहा जाता है) और २. भेषज ( औषध विशेष ) और ३. सस्य ( धान्य विशेष गेहूँ को भी गोधूम कहते हैं) इस तरह गोधूम शब्द के तीन अर्थ जानना चाहिए ।
मूल :
गोपो राजनि गोपाले बोले गोष्ठाधिपे स्मृतः । रक्षके बहुलग्रामाधिपतावुपकारके ॥ ४६४ ॥
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गोपतिः शंकरे सूर्ये राज्ञि सण्डेऽगदान्तरे ।
गोपनं व्याकुलत्वे स्यात् कुत्सनेऽपहवे द्युतौ ॥ ४६५ ॥
हिन्दी टीका - गोप शब्द पुल्लिंग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं - १. राजा (नृपति) २. गोपाल (गो-रक्षक) ३ बोल (गन्ध-रस शब्द से प्रसिद्ध ) और ४ गोष्ठाधिप ( गोष्ठ का मालिक) ५. रक्षक (रक्षा करने वाले को भी गोप कहते हैं ।) और ६. बहुलग्रामाधिपति ( अनेक ग्रामों का मालिक) को भी गोप कहते हैं । और ७. उपकारक ( उपकार करने वाले को भो ) गोप शब्द से व्यवहार किया जाता है | गोपति शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं - १. शंकर (शिवजी महादेव ) २. सूर्य, ३. राजा, ४ सण्ड हिजड़ा नपुंसक) और ५. अगदान्तर ( औषध विशेष ) । गोपन शब्द नपुंसक माना जाता, और उसके चार अर्थ होते हैं - १. व्याकुलत्व ( व्याकुलता आकुल) २. कुत्सन ( निन्दा ) ३. अपह्नव (अपलाप, छिपाना) और ४. द्युति (कान्ति, प्रकाश, लाइट. ज्योति इत्यादि) ।
मूल :
गोपी प्रकृति - गोपस्त्री - रक्षिका शारिवासु च । गोपालकः शिवे कृष्णे गोपे
गोरक्षकेऽपि च ॥ ४६६ ॥
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