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३६ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-उन्माथ शब्द २. निर्गम (निकलने का स्थान) और ३. प्रयोजन। इस तरह उद्भट शब्द के चार और उद्यान शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये। उद्र शब्द पुल्लिग है और उसका अर्थ १. जलमार्जार (जलजन्तु मगर वगैरह) होता है। उद्रक शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. वृद्धि (आधिक्य) और २. उपक्रम (आरम्भ करना)। उद्वर्तन शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. विलेप (लेपन करना-लेप लगाना) २. घर्षण (घिसना) और ३. उत्पात (उपद्रव)। इस तरह उद्र शब्द के एक और उद्रेक शब्द के दो और उद्वर्तन शब्द के तीन अर्थ समझना चाहिये। मूल : उन्माथः कूटयन्त्रे स्यान्मारणे घातके पुमान् ।
उन्मादश्चित्तविभ्रान्तौ मनोरोगान्तरेपि च ॥१८७॥ उपकण्ठन्तु निकटे ग्रामान्ते शीतगौ तु ना।
कण्ठान्तिकास्कन्दितयोः क्लीबं हि सविधे पुमान् ॥१८॥ हिन्दी टीका-उन्माथ शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. कूटयन्त्र (पशु पक्षियों को फंसाने का यन्त्र विशेष) २. मारण (मारना-मरवाना) और ३. घातक (घात करना) । उन्माद शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. चित्तविभ्रान्ति (विभ्रम) और २. मनोरोगान्तर (मानसिक रोग विशेष) । नपुंसक उपकण्ठ शब्द के चार अर्थ होते हैं-१. निकट (नजदीक) २. ग्रामान्त (ग्राम का अन्त भाग) ३. कण्ठान्तिक (गले का निकट भाग) और ४. आस्कन्दित (दबाया हुआ) किन्तु पुल्लिग उपकण्ठ शब्द के दो अर्थ होते हैं-१ शीतगु (चन्द्रमा) और २. सविध (निकट) । इस तरह उन्माथ शब्द के तीन एवं उन्माद शब्द के दो तथा उपकण्ठ शब्द के कुल मिलाकर छह अर्थ हुए। मूल : उपकारिकोपकर्त्यां कुशूले राजवेश्मनि ।
उपक्रमश्चिकित्सायां ज्ञात्वारम्भे पलायने ॥१८६।। उपधा-प्रथमारम्भ - विक्रमेषु पुमानयम् ।
उपतापोऽशुभे रोगे पीडोत्ताप - त्वरासु च ॥१६॥ हिन्दी टोका-उपकारिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. उपकी (उपकार करने वाली) २. कुशूल (कोठी-वखारी वगैरह) और ३ राजवेश्म (राजा का घर-महल) उपक्रम शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. चिकित्सा (इलाज) २. ज्ञात्वारम्भ (समझकर आरम्भ करना) ३. पलायन (भाग जाना) ४. उपधा (मन्त्री के धर्मादि की परीक्षा करना) ५. प्रथमारम्भ (प्रथम आरम्भ) और ६. विक्रम (पराक्रम)। उपताप शब्द पुल्लिग है और उसके ५ अर्थ होते हैं१. अशुभ (अमंगल) २. रोग (व्याधि) ३. पीड़ा (कष्ट-तकलीफ) ४. उत्ताप (दुःख) और ५. त्वरा (जल्दो)। इस तरह उपकारिका शब्द के तीन एवं उपक्रम शब्द के छह और उपताप शब्द के पाँच अर्थ समझना चाहिए । मूल : उपदंशो मेढ़रोगविशेषे मद्यप्राशने ।
उपदेशस्तु दीक्षायां शिक्षायां हितभाषणे ॥ १६१ ॥ उपधानं विषे गण्डौ व्रतप्रणययोरपि । उपपत्तिः समाधाने सिद्धान्ते निर्वतावपि ॥ १६२ ॥
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