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१० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-करक शब्द चाहिए । कम्बल शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ होते हैं- १. रल्लक (कम्बल) २. नागराज (कृष्ण सर्प) ३ प्रावार (चादर) ४. कृमि (कीड़ा) ५. सास्ना (गाय कम्बल) ६. उत्तरासंग (कपास की चादर विशेष) और ७. मृगभेद (मृग विशेष) । कर शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ होते हैं-१. करका (ओला) २. वलि (टैक्स-राजकर) ३. हस्त (हाथ) ४. गभस्ति (किरण) और ५. गजशुण्ड (हाथी की शुण्ड-संड)। करक शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. दाडिम (बेदाना, अनार) २. राज कर (टैक्स) ३. लट्वा (लहू) और ४. पलाश । - मूल : नारिकेलास्थ्नि बकुले कोविदार-करीरयो।
वर्षोपले स्त्रियां क्लीबं कमण्डलु करङ्कयोः ॥ २६५ ॥ हिन्दी टोका-पुल्लिग करक शब्द के और भी चार अर्थ होते हैं-१. नारिकेलास्थि (नारियल का खोपरा) २. बकुल (मोलसरी फूल) ३. कोविदार (कचनार) और ४. करोर (करील वृक्ष) किन्तु वर्षोपल (ओला) अर्थ में करका शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है और नपुंसक करक शब्द के दो अर्थ होते हैं-१. कमण्डलु और २. करंक (पात्र विशेष-झारी)। इस तरह करक शब्द के ११ अर्थ जानना चाहिए । मूल : करटो दुर्दु रूटे स्याद् वायसे निन्द्यजीवने ।।
कुसुम्भे द्रविणे श्राद्ध वाद्यभेदेभगण्डयोः ॥ २६६ ॥ करणं साधने क्षेत्रे गात्रे कारण-कर्मणोः । तिथियोगे हस्तलेपेन्द्रिय गीत - क्रियास्वपि ॥ २६७ ।। मुन्यासने च सुरते कायस्थे तु पुमानसौ ।
करुणः करमर्दै ना स्याद् बुद्ध-रसभेदयोः ॥ २६८ ।। हिन्दी टीका-करट शब्द पूल्लिग है और उसके आठ अर्थ होते हैं-१. दुर्दु रूट (कर्कश-एकाढ़) २. वायस (कौआ) ३. निन्द्य जीवन (गहित जीवन वाला) ४. कुसुम्भ (वसन्ती रंग-कुसुम्भी वर्ण) ५. द्रविण (धन) ६. श्राद्ध (श्रद्धा वाला) ७. वाद्यभेद (बाजा विशेष) और ८. इभगण्ड (हाथी का गण्डस्थल-कपोल प्रान्त) । करण शब्द नपुंसक है और उसके १४ अर्थ होते हैं --१. साधन (उपकरण) २. क्षेत्र ३. गात्र (शरीर) ४. कारण (हेतु) ५. कर्म ६. तिथियोग (तैतिल वगैरह) ७. हस्त (हाथ) ८. लेप (लेप विशेष) ६. इन्द्रिय (आंख नाक वगैरह) १०. गति ११. क्रिया १२. मुन्यासन (मुनि का आसन विशेप) १३. सुरत (विषय भोग) और १४. कायस्थ अर्थ में करण शब्द नपुंसक समझना चाहिए। करुण शब्द पुल्लिग है
और उसके तीन अर्थ होते हैं -१. करमर्द (हस्त मर्दन) २. बुद्ध (बुद्ध भगवान) और ३. रसभेद (रस विशेष-अलंकार शास्त्र का करुण रस)। मूल : कर्कटः पद्मकन्दे च तुम्ब्यां कर्के कुलीरके ।
वृक्षभेदे पक्षिभेदे क्षुद्रधात्र्यां भुजंगमे ॥ २६६ ॥ कर्कशस्त्रिषु दुःस्पर्शे कृपणे साहसान्विते ।
पुमानिक्षौ कासम खड्गे काम्पिल्य-पादपे ॥ २७० ॥ हिन्दी टोका-कर्कट शब्द पुल्लिग है और उसके आठ अर्थ होते हैं-१. पद्मकन्द (कमल का
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