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५२ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - कलिका शब्द
हिन्दी टीका - कलिका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. कोरक (कली) २. वीणामूल (वीणा का मूल भाग) और पदनिबन्धन (पद की रचना वगैरह ) । कलित शब्द त्रिलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - घृत (घी) २. आप्त (प्रामाणिक पुरुष ) ३. विदित (ज्ञात) और ४. गणित (गिना हुआ ) । कलिंग शब्द पुल्लिंग है और उसके छह अर्थ होते हैं - १. पूतिकरज ( करञ्ज) २. धूम्याट (भृंग के समान काला रंग का भेंम) ३. प्लक्ष पादप (पाकर का वृक्ष) ४. शिरीष (शिरीष नाम का वृक्ष विशेष ) ५. कुटज ( जूही फूल) और ६. देश विशेष (उड़ीसा देश ) किन्तु इस प्रकार उड़ीसा देश के लिए पुल्लिंग बहुवचन में हो कलिंग शब्द का प्रयोग समझना चाहिये !
मूल :
कलिंगो भास्करे शैलविशेषे च बिभीतके ।
कल्को बिभीतके दम्भ घृततैलादिशेषयोः ॥ २७७ ॥ अस्त्री पुरीषे कलुषे त्रिषु पापाशये स्मृतः ।
कल्पो ब्राह्मदिने न्याये प्रलये विधिशास्त्रयोः ॥ २७८ ॥
हिन्दी टीका - कलिंग शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. भास्कर (सूर्य) २. शैल विशेष ( पर्वत विशेष को भी कलिंग कहते हैं) और ३. बिभीतक ( बहेड़ा) को भी कलिंग शब्द से व्यवहार होता है इस तरह कलिंग शब्द के कुल मिलाकर नौ अर्थ समझना चाहिये ।
कल्क शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. बिभीतक ( बहेड़ा ) २. दम्भ ( आडम्बर वगैरह ) और ३. घृततैलादिशेष (घृत तेल वगैरह स्नेह पदार्थ का शेष ) । इसी प्रकार ४. पुरीष (विष्ठा ) और ५. कलुष (पाप) इन दो अर्थों में कल्क शब्द पुल्लिंग तथा नपुंसक माना जाता है किन्तु पापाशय ( कुत्सित विचार ) अर्थ में कल्क शब्द त्रिलिंग समझा जाता है । कल्प शब्द पुल्लिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं - १. ब्राह्म दिन (ब्रह्मा का एक दिन ) २. न्याय (इन्साफ ) ३. प्रलय (संहार) ४. विधि और ५. शास्त्र इस तरह पाँच अर्थ जानना ।
मूल :
विकल्पे कल्पवृक्षे च व्याकृतिप्रत्ययान्तरे । कल्पनाऽनुमितौहस्तिसज्जना गुम्फयोः स्त्रियाम् ॥ २७६ ॥ कल्माषो राक्षसे श्यामे गन्धशालौ च कर्बु रे । कल्यो निरामये सज्जे दक्षे वाक्श्रुतिवर्जिते ॥ २८० ॥
हिन्दी टीका - कल्प शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. विकल्प ( अथवा ) २. कल्पवृक्ष ( कल्पतरु ) और ३. व्याकृति प्रत्ययान्तर ( व्याकरण का दूसरा प्रत्यय) | कल्पना शब्द स्त्रीलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. अनुमिति ( अनुमान करना) २. हस्तिसज्जना ( हाथी को सजाना) और ३. गुम्फन ( गूथना) । कल्माष शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं - राक्षस (दैत्य दानव) २. श्याम (श्याम वर्ण) ३. गन्ध शालि (खुशबूदार चावल - कामोद वगैरह ) और ४. कर्बुर (चितकबरा) । कल्य शब्द भी पुल्लिंग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं - १. निरामय (नीरोग) २. सज्ज ( सन्नद्ध, तैयार, सावधान वगैरह) ३. दक्ष (निपुण-तत्पर) और ४. वाक् श्रुति वर्जित ( गूंगा बहरा ) इस तरह कल्माष शब्द के चार और कल्य शब्द के भी चार अर्थ जानना ।
मूल :
उपायवचने भद्रवचनेऽपि कल्याणं मंगले स्वर्णे त्रिलिंगस्तु
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त्रिलिंगकः । शुभान्विते ॥ २८१ ॥
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