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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-केवल शब्द | ७५ हिन्दी टोका-केवल शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. निश्चित (निर्णीत) २. कृत्स्न (सारा) ३. असहाय (अकेला) ४. ज्ञान (तत्त्व ज्ञान) और ५. शुद्ध (विशुद्ध निर्मल)। केसर शब्द भी नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -१. हिंगु (हिङ्ग) २. कासीस (औषध विशेष) ३. स्वर्ण (सोना) और ४. नागकेशर (केशर चन्दन) । इस तरह केसर शब्द के चार अर्थ समझना चाहिये। मूल : केसरो वकुले सिंह-तुरंगस्कन्ध कुन्तले (रोमणि)।
पुन्नागवृक्षे किञ्जल्के नागकेशरपादपे ॥४०१ ॥ हिन्दो टीका-केसर शब्द पुल्लिग है और उसके भी छह अर्थ माने जाते हैं-१. वकुल (मोलशिरो-भालशरी फूल) २. सिंहस्कन्ध कुन्तल (सिंह के कन्धे का बाल) ३. तुरंग स्कन्ध कुन्तल (घोड़े के कन्धे का बाल) ४. पुन्नाग वृक्ष (नागकेशर वृक्ष) ५. किजल्क (केशर) और ६. नागकेशर पादप (हरिचन्दन केशर)। मूल : केसरी घोटके सिंहे पुन्नागे नागकेशरे ।
हनुमज्जनके रक्त-शिग्रो च बीजपूरके ॥ ४०२ ॥ हिन्दी टोका-केसरी शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता और उसके सात अर्थ होते हैं-१. घोटक (घोड़ा) २ सिंह (शेर) ३. पुन्नाग (नागकेशर) ४. नागकेशर (हरिचन्दन) ५. हनुमज्जनक (हनुमान जी का पिता) ६. रक्तशिग्रु (भाजी) और ७. बीजपूरक (बिजौरा)। इस तरह केसरी शब्द के सात अर्थ जानना चाहिये।
कैतवं द्यूत-वैदूर्यमणि-च्छद्मसु नद्वयोः ।
कोको विष्णौ बुके भेके खजूं री चक्रवाकयोः ॥ ४०३ ॥ हिन्दी टीका-कैतव शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. द्यूत (जुआ) २. वैदूर्यमणि (मणि विशेष) ३. छद्म (कपट) ४. नद्वय (दो नकार-बहाना करना) । कोक शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ माने जाते हैं -१ विष्णु, २. वृक (भेड़िया, हुड़ाड़) ३. भेक (मेढ़क एड़का) ४. खजुरी (खजूर) और ५. चक्रवाक (चक्रवाक नाम का पक्षी विशेष, जिसको दिन में ही संयोग होता है)। मूल : कोणो वाद्यप्रभेदे स्यात् लगुडे मंगलग्रहे ।
गृहादेरेकदेशेऽपि शनौ वीणादि वादने ॥ ४०४ ॥ हिन्दी टोका-कोण शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. वाद्यप्रभेद (वीणा वगैरह बाजा की तन्त्री) २. लगुड (दण्डा) ३. मगलग्रह, ४. गृहादेरेकदेश (घर वगैरह का एक कोण) ५. शनि (शनिग्रह) और ६. वीणादि वादन (वीणा वगैरह के बजाने का एक साधन विशेष) । इस प्रकार छह अर्थ जानना। मूल : दिशोर्मध्येऽथ मृदुले मञ्जुले कोमलस्त्रिषु ।
कोरकोऽस्त्री मृणाले स्यात् कक्कोले मुकुलेऽपि च ॥ ४०५ ।। हिन्दी टोका-१. दिशोर्मध्य (दो दिशाओं के मध्य भाग को भी कोण कहते हैं)। कोमल शब्द
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