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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-कृपण शब्द | ७३ अर्थ में कृत्य शब्द त्रिलिंग माना जाता है क्योंकि करने योग्य कार्य विशेष्यनिघ्न होने से तीनों लिंगों में प्रयुक्त हो सकता है । स्त्रीलिंग कृत्या शब्द के दो अर्थ माने जाते हैं-१. क्रिया और २. देवतान्तर (यज्ञ देवता विशेष)।
___ कृपणस्तु कदर्ये स्यात् दीन-कुत्सितयोः कृमौ ।
कृपीटं विपिने नीरे कुक्षो काष्ठे नपुंसकम् ॥ ३६० ॥ हिन्दी टोका - कृपण शब्द पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं-१. कदर्य (कायरकञ्जूस) २. दोन (गरीब) ३. कुत्सित (निन्दित) और ४. कृमि (क्षुद्र जन्तु कीड़ा) । कृपीट शब्द नपुंसक है और उसके भी चार अर्थ होते हैं—१. विपिन (जंगल) २. नीर (जल) ३. कुक्षि (उदर-पेट) और ४. काष्ठ (लकड़ी)। मूल : कृपीटपाल: पवने केनिपात - समुद्रयोः ।
कृमिः कीटे खरे कुक्षिजातकीटाऽऽमये पुमान् ॥ ३६१ ॥ हिन्दी टीका-कृपीटपाल शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. पवन (वायु) २. केनिपात (पतवार-नौका को चलाने वाला काष्ठ विशेष) ३. समुद्र । कृमि शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं - १. कीट (कीड़ा) २. खर (तीक्ष्ण) और ३. कुक्षिजातकीटाऽऽमय (उदर में उत्पन्न कोट से रोग विशेष) । कृपीटपाल शब्द के और भी दो अर्थ आगे कहते हैं। मूल : लाक्षायां कृमिलेऽथ स्यात् कृषका वृष फालयोः ।
कृष्णं नीलाञ्जने लौहे कालागुरु-मरीचयोः ।। ३६२ ॥ हिन्दी टीका-१. लाक्षा (लाख) अर्थ में तथा कृमिल (कीड़ायुक्त) अर्थ में भी कृपीटपाल शब्द का प्रयोग होता है । कृषका शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. वृष (बैल) और २. फाल (हल का फाल)। कृष्ण शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं—१. नीलाञ्जन (कज्जल) २. लौह (लोहा) ३. कालागुरु (कालागर) और ४. मरोच (कालीमरी) । इस तरह नपुंसक कृष्ण शब्द के चार अर्थ जानना।
कृष्णः काकेऽर्जुने व्यासे केशवे करमर्दके।
श्यामलेऽथस्त्रियां द्राक्षा-पिप्पली द्रौपदीषु च ॥ ३६३ ॥ हिन्दी टीका-कृष्ण शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. काक (कागराकौवा) २. अर्जुन, ३. व्यास, ४ केशव, ५. करमर्दक (करौंना, करौदा) और ६. श्यामल (शामला)। किन्तु स्त्रीलिंग कृष्णा शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं -१. द्राक्षा (दाख, मुनक्का) २. पिप्पली (पीपरि) और ३. द्रौपदी । इस तरह कुल मिलाकर कृष्ण शब्द के तेरह अर्थ जानना चाहिये जिनमें पुल्लिग, स्त्रीलिंग, नपुंसक सभी आ जाते हैं। मूल : गम्भारी-कटका - नीली-वृक्षेषु राजसर्षपे।
कृष्णजीरक - काकोली - पर्पटी सारिकान्तरे ॥ ३६४ ॥ .... हिन्दी टीका-कृष्णा शब्द के और भी आठ अर्थ माने जाते हैं-१. गम्भारी (गम्भार, खम्भारी,
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