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नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टोका सहित-कुलक शब्द | ६६ हिन्दी टोका-कुलक शब्द पुल्लिग है और उसके छह अर्थ माने जाते हैं-१. कुलश्रेष्ठ (कुल में प्रधान) २. वल्मीक (दीमक) ३. काकतिन्दुक (कुचिला) ४. पिण्डीतक (मदनवृक्ष-मयनफल नाम का प्रसिद्ध वृक्ष) ५. मरुबक (मयनफल) और ६. हरिद्वर्ण भुजङ्गमे (हरे वर्ण का साँप-सर्प, सूगा साँप) । इस तरह कुलक शब्द के अर्थ छह जानना। मूल : कल्माषे यावके रोग-भेदे वोरवधान्ययोः ।
कृशराऽद्ध स्विन्नधान्य - राजमाषेषु काञ्जिके ॥ ३७० ॥ हिन्दी टोका-कुल्माष शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं-१. यावक (अलता) २. रोगभेद (रोग विशेष) ३. वोरवधान्य (वोरा नाम का धान्य विशेष, फली) ४. कृशर (खिच्चर) ५. अर्धस्विन्न धान्य (अधपका धान्य) ६. राजमाष (राजा के लिए माष उड़द) और ७. काजिक (कांजी नाम का प्रसिद्ध धान कण) ।
कुल्यमामिषसूर्पाऽष्ट - द्रोणमानेषु कीकसे ।
कुल्यस्त्रिषु कुलीने स्यान् मान्ये कुलहितेऽपि च ॥ ३७१ ।। हिन्दी टोका-कुल्य शब्द नपुंसक है और उसके पाँच अर्थ माने जाते हैं- १. आमिष (मांस) २. सूर्प (सूपकोनिया) ३. अष्ट (आठ संख्या) ४. द्रोणमान (दस सेर) और कोकस (हड्डी अस्थि)। किन्तु त्रिलिंग कुल्य शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. कुलोन (उच्च खानदानी) २. मान्य (आदरणीय) और ३. कुलहित (कुल का हितकारक व्यक्ति) को भो कुल्य कहते हैं।
कल्या स्त्री कृत्रिम स्वल्प-नद्यां जीवन्तिकौषधे ।
कलस्त्रियां नदीमात्रे प्रणाल्यां स्थूलवङ्गणे ॥ ३७२ ॥ हिन्दी टीका-कुल्या शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं-१. कृत्रिम स्वल्प नदी (बनावटी छोटी नदी-नहर) २. जीवन्तिकौषध (गुडुची वांदा गिलोय) ३. कुल स्त्रो (कुलीन स्त्री) ४. नदी मात्र, ५. प्रणाली (नाला) और ६. स्थूलवङ्गण (वङ्गणी)। मूल : कुबेरो धनदे नन्दीवृक्षेऽर्हत्सेवकान्तरे।
कुशो रामसुते द्वीपभेदे योकत्रे पुमान् मतः ॥ ३७३ ॥ हिन्दी टीका-कुबेर शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. धनद (अलकापुरी के राजा इन्द्र का कोषाध्यक्ष) २. नन्दी वृक्ष (तुणी शब्द से ख्यात) ३. अहँत् सेवकान्तरे (तीर्थङ्कर भगवान का सेवक विशेष) । कुश शब्द पुल्लिग है और उसके भी तीन अर्थ माने जाते हैं--१. रामसुत (रामचन्द्रजी का पुत्र) २. द्वीप भेद (द्वीप विशेष) ३. योकत्र (जोती)। मूल : . दर्भेऽस्त्रियां स्यात् पापिष्ठ मत्तयोस्तु त्रिलिङ्गकः ।
कुशलं मंगले पुण्ये पर्याप्ते शिक्षिते त्रिषु ॥ ३७४ ॥ हिन्दी टोका-दर्भ (कुश) अर्थ में कुश शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक भी माना जाता है और पापिष्ठ (अत्यन्त पापी) और मत्त (पागल) इन दो अर्थों में तो कुश शब्द त्रिलिंग माना जाता है। कुशल शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं-१. मंगल, २. पुण्य, ३. पर्याप्त (पुष्कल) और ४. शिक्षित
मूल :
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