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४८ | नानार्थोदयसागर कोष हिन्दी टोका सहित-कनक शब्द
हिन्दी टीका- कनक शब्द पुल्लिग है और उसके सात अर्थ होते हैं---१. काञ्चनाल (कचनौर) २. लाक्षातरु (लाख का वृक्ष. जिससे लाख बनता है) ३. पलाश (ढाक, किंशुक) ४. धुस्तूर (धतूर) ५. चम्पक (चम्पा पुष्प) ६ नागकेशर (केशर) और ७. कणगुग्गुल (गुग्गुल का चूर्ण)। इसी प्रकार कालीय नाग भी पुल्लिग कनक शब्द का अर्थ होता है और कासमर्द (गुल्म विशेष, वेसवार एक प्रकार का मसाला या छौंक) भी पुल्लिग कनक शब्द का अर्थ होता है और नपुंसक कनक शब्द का १. काञ्चन (सोना) अर्थ होता है। कन्था शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं -१. मृन्मय भित्ति (मिट्टी की दोवाल) और २. स्यूत कर्पट (सिला हुआ कपड़ा विशेष, केथड़ी, गुदड़ी, चेथड़ी)। इस तरह कनक शब्द के १० और कन्था शब्द के दो अर्थ समझना चाहिये। मूल : कन्दमस्त्री शस्यमूले गृञ्जने शूरणे स्मृतम् ।
योनिरोगान्तरे मेघे पुमानेव सदा मतः ।। २५४ ॥ कन्दलन्तूपरागे स्यादपवादे नवांकुरे ।
कलध्वनौ कपाले च त्रिलिंगोऽथ मृधे पुमान् ।। २५५ ।। हिन्दी टीका-कन्द शब्द पुल्लिग और नपुंसक है और उसके पांच अर्थ होते हैं उनमें तीन अर्थों में उभयलिंग और अन्तिम दो अर्थों में नित्य पूल्लिग माना जाता है-१. शस्यमूल (धान का जड़ भाग) २. गृञ्जन (गजरा) ३. शूरण (ओल) इस तीनों अर्थों में उभयलिंग जानना और ४. योनिरोगान्तर (प्रदर वगैरह) और ५. मेघ (बादल) इन दोनों अर्थों में नित्यपुल्लिग जानना। त्रिलिंग कन्दल शब्द के पाँच अर्थ होते हैं-१. उपराग (सूर्यग्रहण तथा चन्द्रग्रहण) २. अपवाद (कलंक) ३. नवांकुर (नया अंकुर) ४. कलध्वनि (मधुर कलरव) और ५. कपाल (खप्पर घट का एक भाग) किन्तु ६. मृध (युद्ध) अर्थ में कन्दल शब्द नित्य पुल्लिग है। इस तरह कन्द शब्द के पांच और कन्दल शब्द के छह अर्थ समझना चाहिए।
कपाले तपनीयेऽथ कन्दली हरिणान्तरे। पद्मबीजे वैजयन्त्यां रम्भा गुल्मप्रभेदयोः ॥ २५६ ।। कपिल: कुक्कुरे वह्नौ पिङ्गले सिलके मुनौ।
कपिला पुण्डरीकाख्यदिग्गज स्त्री नदी भिदेः ॥ २५७ ।। हिन्दी टोका-कन्दली शब्द स्त्रीलिंग है और उसके सात अर्थ होते हैं --१. कपाल (घट का आधा भाग खप्पर वगैरह) २ तपनीय (सोना) ३. हरिणान्तर (मृग विशेष) ४. पद्म बीज (कमल का बीज-कमलगट्टा) ५. वैजयन्ती (पताका वगैरह) ६. रम्भा (केला) और ७. गुल्मप्रभेद (तरु गुल्म विशेष)। कपिल शब्द पुल्लिग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. कुक्कुर (कुत्ता) २. वह्नि (आग) ३. पिंगल (भूरा वर्ण, बन्दर का रंग) ४ सिंह्लक (लोहवान गन्ध द्रव्य विशेष) ५. मुनि । कपिला शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अथ होते हैं -१. पुण्डरीकाख्य दिग्गज स्त्री (पुण्डरीक नाम की दिग्गज हथिनी) और २. नदीभिदा (नदी विशेष) को भी कपिला कहते हैं। इस तरह कपिल और कपिला शब्द के पांच-पाँच अर्थ समझना चाहिए।
गृहकन्या भस्मगर्भा रेणुका राजरीतिषु । गोविशेषेऽथ कपिशः पुमान् श्यावे च सिलके ॥ २५८ ॥
मूल :
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