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मूल :
३८ | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-उपाय शब्द मूल :
स्वार्थसम्पादके सामादिचतुष्के गतावपि । शुश्रूषाऽऽसनहिंसासु बाणाभ्यास - उपासनम् ।। १६७ ॥ उमा दुर्गाऽतसी कान्ति-हरिद्रा-कीर्तिषु स्त्रियाम् ।
उष्णीषोऽस्त्री शिरोवेष्टे चिह्नान्तर-किरीटयोः॥ १६८ ॥ हिन्दी टीका-उपाय शब्द के और भी तीन अर्थ होते हैं - १. स्वार्थ सम्पादक (स्वार्थ सिद्धिकारक) २. सामादि चतुष्क (साम-दाम-दण्ड-भेद) और ३. गति (रास्ता)। इस तरह कुल मिलाकर उपाय शब्द के चार अर्थ समझना चाहिये । उपासन शब्द नपुंसक है और उसके चार अर्थ होते हैं --१.शुश्रूषा (मेवा करना) २. आसन (पद्मासन सिद्धासन वगैरह) ३. हिंसा (मारना) और ४ बाणाभ्यास (शर चलाने को प्रैक्टिस) इस तरह उपासन शब्द के चार अर्थ जानना। उमा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. दुर्गा (पार्वती) २. अतसी (अलसी-तीसी) ३. कान्ति (तेज वगैरह) ४. हरिद्रा (हलदीहलद) और ५. कीर्ति (यश) इस प्रकार उमा शब्द के पाँच अर्थ समझना चाहिये । उष्णीष शब्द पुल्लिग
और नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. शिरोत्रष्ट (शिरस्त्राण-टोप) २. चिन्हान्तर (चिन्ह विशेष) और ३. किरीट (मुकुट) इस तरह उष्णीष शब्द का तीन अर्थ समझना चाहि।।
ऊतिर्लीला जवनयोः स्यूतौ क्षारणरक्षणे । ऊोंबल - प्राणनयोत्रुसाहे कार्तिके पुमान् ॥ १६६ ।। ऊर्णा भ्र वोरन्तरालाऽऽवर्ते मेषादिलोमनि ।
ऊर्णायुरूर्णनामे स्यान्मेषे तल्लोमकम्बले ।। २०० ॥ हिन्दो टीका-ऊति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं.-१ लीला (मायाजाल) २. जवन (वेग) ३. स्यूति (कपड़ा वगैरह का सीन) और ४. क्षारणरक्षण (झरने से बचाना) इस प्रकार ऊति शब्द के चार अर्थ समझना चाहिये । ऊर्ज शब्द पुल्लिग है और उसके भी चार अर्थ होते हैं-१. बल (ताकत) २ प्राणन (जोना प्राण साँस लेना) ३. उत्साह और ४. कार्तिक (कार्तिक महीना) इस तरह ऊर्ज शब्द के चार अर्थ समझना चाहिए । ऊर्णा शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. भ्र वोरन्तरालाऽवर्त (भौंहों के बीच के घूमे हुए बाल) और २. मेषादिलोम (गेटा-भेड़ा वगैरह के बाल) इस तरह ऊर्णा शब्द के दो अर्थ समझना चाहिए। उर्णायु शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. ऊर्ण नाम (मकरा-करोलिया) २. मेष (भेड़-गेटा) और ३. लोमकम्बल (ऊन का कम्बल) इस तरह ऊर्णायु शब्द के तीन अर्थ समझना।
ऊमिः स्त्रीपुंसयोः पीडावस्त्रसंकोच - रेखयोः । तरङ्गोत्कण्ठयोर्वेगे प्रकाशेऽथोर्मिका मुदि ॥ २०१ ॥ वीच्युत्कण्ठा भृङ्गनाद - भङ्गष्वप्यंगुलीयके ।
ऋतमुञ्छशिले सत्ये जले त्रिष्वच्यदीप्तयोः ॥ २०२ ॥ हिन्दी टीका-मि शब्द पुल्लिग और स्त्रीलिंग है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. पीड़ा (दुःख-दर्द) २. वस्त्र संकोच रेखा (प्रेस इस्तरी) से सजाये गये कपड़े को टेढ़ी-मेढ़ी रेखा) ३. तरंग (लहर)
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