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४० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित - श्रेष्ठ शब्द
एक: साधारणे स्वल्पे केवले प्रथमाऽन्ययोः । प्रधानेऽप्यादिसंख्यायां विद्वद्भिस्त्रिषु कीर्त्यते ॥
२०८ ॥
हिन्दी टीका - श्रेष्ठ शब्द भी पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ होते हैं १. औषध भेद ( औषध विशेष) और २. ईप्सितवर्षी (अभीष्ट वस्तु को वर्षाने वाला) इस प्रकार श्रेष्ठ शब्द के दो अर्थ समझना चाहिए । ऋषि शब्द पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ होते हैं-१ मुनि (साधु) २. वेद (श्रुति) ३. ज्ञानपारग (तत्ववेत्ता ) ४. संसारपारग (संसार का रहस्य ज्ञाता) इस तरह ऋषि शब्द के चार अर्थ समझना चाहिए। एक शब्द त्रिलिंग माना जाता है और उसके सात अर्थ होते हैं - १. साधारण (जनरल ) २. स्वल्प (किंचित् ) ३. केवल ( अकेला ) ४. प्रथम (पहला ) ५. अन्य ( दूसरा वगैरह ) ६. प्रधान (मुख्य) ७. आदि संख्या (एक) इस तरह एक शब्द का सात अर्थ जानना ।
मूल :
एडमूक: शठे मूके बधिरेऽपि त्रिलिङ्गकः ।
एन: पापे च निन्दायामपराधे नपुंसकम् ॥ २०६ ॥
ऐन्द्रिः पुमान् जयन्ते स्याद् बालिन्यर्जुन- काकयोः ।
ऐन्द्री स्त्रियां शची दुर्गालक्ष्मी पूर्व दिशासु च ।। २१० ।।
हिन्दी टीका - एडमूक शब्द त्रिलिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. शठ (दुर्जन- धूर्त शैतान) २. मूक ( गूंगा) और ३ बधिर (बहरा) इस प्रकार एडमूक शब्द के तीन अर्थ समझना । एन शब्द नपुंसक है और उसके भी तीन अर्थ होते हैं - १. पाप, २ निन्दा, और ३. अपराध । इस तरह एन शब्द के भी तीन अर्थ समझना चाहिए। पुल्लिंग ऐन्द्रि शब्द के चार अर्थ होते हैं - १. जयन्त ( इन्द्र का पुत्र जयन्त) २. बाली, ३. अर्जुन और ४. काक (कौवा) और स्त्रीलिंग ऐन्द्री शब्द के भी चार अर्थ होते हैं - १. शची ( इन्द्राणी इन्द्र की धर्मपत्नी ) २. दुर्गा (पार्वती " ऐन्त्राद्याः सप्तमातरः" ऐन्द्री ब्राह्मी वगैरह सप्त माता । ३. अलक्ष्मी और ४. पूर्वदिशा को भी ऐन्द्री कहते हैं । इन्द्र ही उस दिशा का स्वामी है । इस तरह ऐन्द्रि शब्द के चार और ऐन्द्री शब्द के भी चार अर्थ समझना ।
मूल :
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एलायामिन्द्रवारुण्यामैन्द्रज्येष्ठा
वनार्द्रयोः ।
ऐरावतः पुमान् इन्द्रकुञ्जरे पूर्व दिग्गजे ॥ २११ ॥
लकुचद्रौ नागरंगे क्लीवन्त्विन्द्रायुधे मतम् । वटपत्रीतरावपि ॥ २१२ ॥
ऐरावती
सरिद्भेदे
हिन्दी टीका - १ एला (इलाइची ) और २. इन्द्रवारुणी (उज्जयिनी) को भी ऐन्द्री कहते हैं । नपुंसक ऐन्द्र शब्द के दो अर्थ होते हैं -- १. ज्येष्ठा (गृहगोधा और ज्येष्ठा नक्षत्र) और २ वनार्द्र ( औषध विशेष) को भी ऐन्द्र शब्द से व्यवहार करते हैं । पुल्लिंग ऐरावत शब्द के दो अर्थ होते हैं १. इन्द्रकुञ्जर (ऐरावत हाथी) और २. पूर्व दिग्गज (पूर्व दिशा का दिग्गज हाथी) को भी ऐरावत कहते हैं । इसी प्रकार पुल्लिंग ऐरावत शब्द के और भी दो अर्थ होते हैं १. लकुचद्र ( लीची का वृक्ष) और २. नागरंग (नारंगी दाडिम) नपुंसक ऐरावत शब्द का १ इन्द्रायुध ( इन्द्रचाप इन्द्रधनु) अर्थ होता है । स्त्रीलिंग ऐरावती शब्द के दो अर्थ होते हैं--१ सरिद्भेद (नदो विशेष इरावती) और २. वटपत्रीतरु
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